रहिये अपडेट, रीवा. शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का विधिवत पूजा-अर्चना की गई। मां दुर्गा पंडालों में भजन-कीर्तन हुए तो वहीं देवी मंदिरों में दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही। श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके इसी तप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। बता दें कि यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है और ब्रह्मचारिणी का अर्थ है, तप का आचरण करने वाली। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने हर कार्य में जीत हासिल होती है। इसी आस्था के साथ शहर के प्रमुख देवी पंडालों खन्ना चौराहा स्थित माता के दरबार सहित रानी तालाब की कालिका मंदिर, फूलमती माता मंदिर के साथ ही नईगढ़ी स्थित अष्टभुजा माता के दरबार में भारी संख्या में भक्त पहुंचे और जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। वहीं कई भक्त नौ दिन का व्रत रखकर देवी की आराधना कर रहे हैं।
अनन्य श्रद्धा का केन्द्र काली मंदिर
प्राचीन रानी तालाब के किनारे बगलामुखी देवी माता कालिका का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर देवी भक्तों की अनन्य श्रद्धा का केन्द्र है। नवरात्रि पर्व के दौरान सुबह तीन बजे से ही इसमें भक्तों का तांता लग रहा है। हजारों भक्त नवरात्रि के प्रत्येक दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ माता को जल चढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या महिलाओं की होती है। वहीं मंदिर परिसर में आयोजित मेले में भक्तों द्वारा खरीदारी भी की जा रही है।
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