ज्योतिषाचार्य चूड़ामणि शर्मा बताते हैं कि कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या भगवती लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की नई प्रतिमाओं का प्रतिष्ठा पूर्वक विशेष पूजन किया जाता है। पूजन के लिए किसी विशिष्ट मुहूर्त अथवा शुभ योग शुभ लग्न या चौघड़िया के अनुसार पूजन करने से लक्ष्मी एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बार धर्म ग्रंथ एवं विद्वानों का मत दो दिवसीय लक्ष्मी पूजन का है और दोनों ही दिन लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है। 31 अक्टूबर एवं 1 नवंबर को अमावस्या शुभ मुहूर्त नक्षत्र योग स्थिर लग्न से युक्त लक्ष्मी पूजन का विधान सौभाग्य देने वाला माना जाता है।
पांच दिवसीय दीपोत्सव
पांच दिवसीय दीपोत्सव भारतीय परंपरा और मान्यता के अनुसार प्रमुख अधिमान तिथि बार योग पूर्व सूचक एवं शब्द त्यौहार रूप में प्रस्तुत किया गया है। धनतेरस (भगवान धनवन्तरी आयुर्वेद के जनक हैं ) हम सब धनतेरस से जानते हैं। नरक चतुर्दशी यमराज के निमित्त पूजन तर्पण करने अपामार्ग की दातून कर मस्तक से घुमाकर फिर स्नान करने से यम के भय से मुक्त हो जाता है। हनुमान जन्मोत्सव हनुमानजी को चोला चढ़ाकर पूजन करना चाहिए यथा संभव हनुमान चालीसा, सुन्दर काण्ड का पाठ कर जन्मोत्सव मनाना चाहिए। अमावस्या के दिन प्रदोष काल,निशिथ काल में गणेश लक्ष्मी या लक्ष्मी नारायण कुबेर पूजन कर दीपोत्सव मनाना चाहिए। प्रतिपदा के दिन अन्न कूट, गोवर्धन पूजा कर यम द्वितीया (भैया दूज)के दिन यमुना स्नान करने से यम यातना से मुक्ति कार्य समाप्त होता है। इस प्रकार से पांच-दिवसीय दीपोत्सव मना कर भाई चारा सोहार्द की बधाई देना चाहिए।
दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से
दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से होगी। संयोगवश इस दिन मंगलवार होने से भौम प्रदोष रहेगा, वहीं प्रजापति योग का महासंयोग भी पड़ रहा है, जो खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 10.31 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 30 अक्टूबर को दोपहर 01.15 बजे तक रहेगी। धनतेरस के साथ ही दीपोत्सव के पर्व की शुरूआत हो जाएगी।
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