रीवा. जिलेभर में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। जिसकी तैयारी महिलाओं ने जोर-शोर से की है। करवा चौथ की खरीदारी के लिए बाजार में रौनिक रहीं। ज्वलरी, कपड़ा, मिठाई, श्रृंगार एवं पूजन सामग्री की दुकानों में भारी भीड़ रही। शिल्पी प्लाजा सहित गुड़हाई बाजार, फोर्ट रोड सहित अन्य बाजारों में भारी संख्या ेंमें महिलाएं जरूरी सामग्री की खरीदारी करती देखी गई। वहीं मेहंदी लगवाने के लिए भी शिल्पी प्लाजा में भीड़ लगी रही। बाजार में भीड़ के चलते कई बार जाम की स्थिति भी बनी।
करवा चौथ का पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पारंपरिक रीति से चांद की पूजा-अर्चना कर रात में पारण करती हैं। पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सुहागिन महिलाएं इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखेंगी। करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 6.46 बजे से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 बजे समाप्त होगी।
इसलिए होती है चंद्रमा की पूजा
मूलत: चंद्रमा, आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और पति की आयु लंबी होती है। इसलिए महिलाएं करवा चौथ को चांद की पूजा-अर्चना करती हैं और चांद का दर्शन करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और चांद का पूजन किया जाता है।
पूजा की थाली में सामग्री
करवा चौथ की थाली को फूलों से सजाएं और इसके बाद थाली में करवा, रोली या कुमकुम, घी का दीपक, पानी का लोटा, चलनी, अक्षत, चंदन, धूप, फूल, मिठाई सिंदूर और फल आदि सामग्री सजाएं। करवा में सींक का भी महत्व है। मान्यता है कि करवा के पति की जान सींक से ही बचाई थी।
करवा चौथ की पूजा विधि
लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश की प्रतिमा स्थापित कर दें। एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें और दूसरा मिट्टी का करवा लेकर उसमें जल दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बना हुआ है। करवा चौथ पर 20 अक्टूबर को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट लेकर शाम को 6 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। 21 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा, जो सुबह 6.24 से 6.46 तक रहने वाला है। वहीं सारंगी खाने का मुहूर्त सुबह ४.३० बजे है।
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