रीवा। स्कूलों में अब छात्रों को किसी तरह से शारीरिक दंड शिक्षक नहीं दे पाएंगे। यदि किसी तरह से निर्देशों की अवहेलना हुई तो संबंधित शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय का पत्र जिला शिक्षा अधिकारी के पास आया है। जिसमें कहा गया है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 17 (1) के तहत शारीरिक मानसिक प्रताड़ना एवं भेदभाव पूर्णत: प्रतिबंधित है तथा धारा 17 (2) के तहत दंडनीय अपराध है। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अंतरगत भी शारीरिक दंड प्रतिबंधित है। इसलिए सभी जिलों में संचालित शासकीय एवं अशासकीय शिक्षण संस्थानों में छात्रों को शारीरिक दंड देने की घटनाओं की त्वरित पहचान करने एवं रोकथाम किए जाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। साथ ही किसी विद्यालय या शिक्षक द्वारा शारीरिक दंड देने के प्रकरण में तत्काल उपयुक्त अनुशारानात्मक एवं कानूनी कार्यवाही की जाए। यह नए निर्देश बाल संरक्षण आयोग के पत्र के बाद जारी किए गए हैं। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सहायक संचालक राजेश मिश्रा ने बताया कि लोक शिक्षण के अपर संचालक रवीन्द्र कुमार सिंह का पत्र जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचा है। जहां से अब सभी स्कूलों को इसके पालन के संबंध में सूचना दी जा रही है। यह नियम सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में लागू होगा।
ज्योति किंडर गार्टेन स्कूल का मामला सुर्खियों में
शहर के निजी स्कूल ज्योति किंडर गार्टेन में एक पांच वर्षीय बच्चे को शारीरिक प्रताड़ना दिए जाने का मामला इनदिनों सुर्खियों में है। इस घटना की शिकायत मिलने पर कलेक्टर ने भी जांच कराई। साथ ही बाल संरक्षण आयोग ने भी जवाब मांगा था। मानव अधिकारी आयोग ने जिला प्रशासन से जानकारी मांगी थी लेकिन समय पर रिपोर्ट नहीं भेजने की वजह से गत दिवस दोनों अधिकारियों को तलब किया गया था। कलेक्टर और एसपी की ओर से आयोग को जानकारी दी गई है कि संबंधित स्कूल के प्राचार्य सहित अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है।
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