Wheat procurement started in MP: समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी प्रारंभ हो गई है। रीवा-मऊगंज सहित प्रदेश के सभी जिलों में 15 मार्च से खरीदी शुरू हुई है। शुरुआत के दो दिनों में रीवा जिले में कहीं पर भी किसान अपनी फसल बेचने के लिए नहीं पहुंचे हैं। इसकी प्रमुख वजह खेतों में अभी गेहूं की फसल पकी नहीं है, जिसके चलते कटाई ही नहीं हुई है। यही कारण है कि 15 एवं 16 मार्च को जिले भर के खरीदी केन्द्र खाली रहे। इस साल समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के लिए प्रदेश सरकार ने बोनस देने का ऐलान किया है। किसानों को २६०० रुपए प्रति क्विंटल की दर से भाव देने की बात कही गई है। खरीदी प्रारंभ कर दी गई है लेकिन अभी गांवों में बड़ी संख्या में किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन ही नहीं कराया है। इसके लिए लगातार प्रशासन का मैदानी अमला किसानों को पंजीयन कराने के लिए प्रेरित कर रहा है। किसानों का कहना है कि धान की फसल देर से आने की वजह से गेहूं की फसल भी जिले में देर से आती है। जिले में मार्च के अंत और अप्रेल के पहले सप्ताह से गेहूं की फसल आना शुरू हो जाएगी। इस कारण खरीदी केन्द्रों में अप्रेल के दूसरे सप्ताह से ही किसानों की भीड़ नजर आएगी। रीवा जिले में ५८ और मऊगंज में 26 केन्द्र बनाए गए हैं।
कलेक्टर ने अधिकारियों को व्यवस्था बनाने का दिया निर्देश
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए निर्धारित किए गए केन्द्रों में किसानों की सुविधाओं से जुड़ी व्यवस्थाएं बनाने के लिए कलेक्टर प्रतिभा पाल ने निर्देशित किया है। सभी खरीदी केन्द्रों में किसानों के लिए छाया, पानी, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करने का निर्देश है। साथ ही खरीदी से जुड़ी जानकारी के फ्लैक्स केन्द्र में लगवाने, गेंहू के सुरक्षित भण्डारण तथा असमय वर्षा से बचाव की व्यवस्था करने का भी निर्देश है। कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा है कि खरीदी केन्द्र गोदाम स्तरीय बनाने को प्राथमिकता दें। खरीदी की निगरानी के लिए जिला और खण्ड स्तर के अधिकारी तैनात रहेंगे। बारदानों को 20 मार्च तक अनिवार्य रूप से पहुंचाने के लिए कहा गया है। कलेक्टर ने कहा है कि सभी खरीदी केन्द्रों में तौलकांटे, छन्ने, हम्माल की भी व्यवस्था भी की जाए।
समर्थन मूल्य और बाजार के कीमत में कोई बड़ा अंतर नहीं
किसानों कहना है कि समर्थन मूल्य और बाजार के कीमत में कोई बड़ा अंतर नहीं है। इस कारण बाजार में बिना किसी झंझट के बिक्री हो जाती है और पैसे भी जल्दी मिल जाते हैं। इस वजह से धान की तुलना में गेहूं का पंजीयन कम करा रहे हैं। हालांकि अभी मार्च के महीने में पंजीयन की प्रक्रिया जारी रहेगी जिससे संख्या बढ़ने की संभावना है।
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