Rewa News: 136 करोड़ के घोटाले में दो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्त, विधानसभा में मामला उठने के बाद हुई कार्रवाई

Monday, 17 March 2025

/ by BM Dwivedi

रीवा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में बीते करीब एक वर्ष पहले कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में करीब १३६ करोड़ रुपए की आर्थिक अनियमितता सामने आई थी। अब इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के करीब एक वर्ष के बाद कार्रवाई की गई है। जिसमें दो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवाए तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। इन पर हेराफेरी किए जाने का आदेश है। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के खंड रीवा में पदस्थ दैनिक वेतनभोगी कापिस्ट एवं तत्कालीन प्रभारी आडिटर सिरमौर एवं जवा शंकर प्रसाद त्रिपाठी और तत्कालीन प्रभारी आडिटर राजीव श्रीवास्तव की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इस घोटाले को लेकर लेखाधिकारी विकास कुमार की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। पूर्व में हुई शिकायत में विकास कुमार के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग उठाई गई थी लेकिन इस बड़े घोटाले में अभी दो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों तक ही कार्रवाई हुई है। 

यह जांच तत्कालीन सहायक कलेक्टर सोनाली देव के नेतृत्व में हुई थी। जिसमें तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह, प्रभारी सहायक यंत्री एसके श्रीवास्तव, आरके सिंह, एसके सिंह, केबी सिंह, उपयंत्री अतुल तिवारी, संजीव मरकाम, संभागीय लेखाधिकारी विकास कुमार एवं विभिन्न शाखाओं के अन्य अधिकारी-कर्मचारियों को प्रथम दृष्ष्टया जिम्मेदार माना गया था। जांच रिपोर्ट में उक्त अधिकारियों के नाम भी कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। इस पर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई थी लेकिन वहां से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। हाल ही में यह मामला सेमरिया विधायक अभय मिश्रा द्वारा विधानसभा में भी लगाया गया है। जहां पर विभागीय मंत्री को जवाब भी देना है। ऐसे में दो दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को सेवा से अलग करने का आदेश जारी किया गया है। माना जा रहा है कि इस मामले में विधानसभा में चर्चा हुई तो अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुंवर सिंह, विनोद शर्मा सहित अन्य ने संभागायुक्त को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग उठाई थी।

जलजीवन मिशन में सबसे अधिक घपला 
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में हुई इस आर्थिक अनियमितता में सबसे अधिक घपला जल जीवन मिशन के कार्यों में हुआ। जहां पर कई एनजीओ को लाखों रुपए जागरुकता अभियान चलाने के नाम पर दे दिया गया। गांवों में पाइपलाइन डाले बिना ही राशि आहरित कर ली गई। इतना ही नहीं कई गांवों में फोटो खिंचाने के लिए नल के कनेक्शन तो दिखाए गए लेकिन इनमें पानी आने वाली पाइपलाइन ही नहीं बिछाई गई। जांच टीम ने कई गांवों का भ्रमण कर व्यापक पैमाने पर अनियमितता पाई थी। जल जीवन मिशन में १३० करोड़ ४७ लाख की अनियमितता जांच रिपोर्ट में सामने आई है। इसी तरह हैंडपंप मंटेनेंस में ३.१७ करोड़ रुपए, थर्ड पार्टी निरीक्षण में ७४.६४ लाख, क्रियान्वयन सहायता संस्था को भुगतान में ८५.७० लाख, वाहन, टायपिंग, फोटोकापी और स्टेशनरी आदि में १.०२ करोड़ रुपए की अनियमितता शामिल है। 

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