रीवा जिले के सिरमौर जनपद पंचायत में लंबे समय से चल रहे विवाद अब चरम पर पहुँच गए हैं, और तख्ता पलट की स्थिति बन चुकी है। जनपद पंचायत के 25 में से 19 सदस्यों ने कलेक्टर के समक्ष अध्यक्ष रबीना साकेत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। सदस्यों ने अध्यक्ष पर वित्तीय अनियमितता, कदाचरण, दुर्व्यवहार और हर कार्य के लिए 10% कमीशन मांगने का गंभीर आरोप लगाया है। इसके साथ ही, पंचायती राज अधिनियम के विपरीत कार्य करने का भी आरोप है।
जनपद सदस्य रामलाल ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में अध्यक्ष ने जनपद निधि का आवंटन नहीं किया, जिसके कारण सदस्य अपने क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं कर पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष कुछ सरपंचों से कमीशन लेकर कार्य करते हैं, लेकिन निर्वाचित सदस्यों की मांगों को अनसुना करते हैं। इसके अलावा, हैंडपंप जैसे बुनियादी कार्यों के लिए भी कर्मचारी नहीं भेजे जाते, जिससे जनता को परेशानी हो रही है। यह भी बताया कि 14 फरवरी को आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह समारोह में महिला सदस्यों को मंच पर बैठने की व्यवस्था तक नहीं दी गई, जिससे नाराजगी और बढ़ी।
सदस्यों ने यह भी खुलासा किया कि अध्यक्षी का संचालन रबीना साकेत के बजाय रविराज विश्वकर्मा द्वारा किया जा रहा है, जिसे वे अनुचित मानते हैं। अविश्वास प्रस्ताव के बाद तीन महिला दावेदार- मुन्नी, सावित्री साकेत और श्याम कली साकेत- अध्यक्ष पद के लिए सामने आई हैं। इन दावेदारों ने कहा कि वे सभी सदस्यों के साथ मिलकर पारदर्शी तरीके से जनपद का विकास करेंगी और भ्रष्टाचार को खत्म करेंगी।
मुन्नी ने कहा, "हम सभी सदस्य मिलकर काम करेंगे, कोई भेदभाव नहीं होगा।" सावित्री साकेत ने जोर देकर कहा कि वे सभी के सहयोग से विकास कार्य करेंगी, जबकि श्याम कली साकेत ने भ्रष्टाचार को खत्म करने और जनपद के विकास पर ध्यान देने का वादा किया।
19 सदस्यों के समर्थन के साथ अविश्वास प्रस्ताव के बाद यह माना जा रहा है कि सिरमौर जनपद पंचायत में तख्ता पलट लगभग निश्चित है। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, और माना जा रहा है कि इस विवाद में दो बड़े जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा भी दाँव पर लगी है। जिला प्रशासन अब इस प्रस्ताव पर नियमानुसार कार्रवाई करेगा, जिसमें विशेष सभा बुलाकर मतदान की प्रक्रिया हो सकती है।
जनपद सदस्य रामलाल ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में अध्यक्ष ने जनपद निधि का आवंटन नहीं किया, जिसके कारण सदस्य अपने क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं कर पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष कुछ सरपंचों से कमीशन लेकर कार्य करते हैं, लेकिन निर्वाचित सदस्यों की मांगों को अनसुना करते हैं। इसके अलावा, हैंडपंप जैसे बुनियादी कार्यों के लिए भी कर्मचारी नहीं भेजे जाते, जिससे जनता को परेशानी हो रही है। यह भी बताया कि 14 फरवरी को आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह समारोह में महिला सदस्यों को मंच पर बैठने की व्यवस्था तक नहीं दी गई, जिससे नाराजगी और बढ़ी।
सदस्यों ने यह भी खुलासा किया कि अध्यक्षी का संचालन रबीना साकेत के बजाय रविराज विश्वकर्मा द्वारा किया जा रहा है, जिसे वे अनुचित मानते हैं। अविश्वास प्रस्ताव के बाद तीन महिला दावेदार- मुन्नी, सावित्री साकेत और श्याम कली साकेत- अध्यक्ष पद के लिए सामने आई हैं। इन दावेदारों ने कहा कि वे सभी सदस्यों के साथ मिलकर पारदर्शी तरीके से जनपद का विकास करेंगी और भ्रष्टाचार को खत्म करेंगी।
मुन्नी ने कहा, "हम सभी सदस्य मिलकर काम करेंगे, कोई भेदभाव नहीं होगा।" सावित्री साकेत ने जोर देकर कहा कि वे सभी के सहयोग से विकास कार्य करेंगी, जबकि श्याम कली साकेत ने भ्रष्टाचार को खत्म करने और जनपद के विकास पर ध्यान देने का वादा किया।
19 सदस्यों के समर्थन के साथ अविश्वास प्रस्ताव के बाद यह माना जा रहा है कि सिरमौर जनपद पंचायत में तख्ता पलट लगभग निश्चित है। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, और माना जा रहा है कि इस विवाद में दो बड़े जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा भी दाँव पर लगी है। जिला प्रशासन अब इस प्रस्ताव पर नियमानुसार कार्रवाई करेगा, जिसमें विशेष सभा बुलाकर मतदान की प्रक्रिया हो सकती है।
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