सतना में मेयर योगेश ताम्रकार और पार्षद गोपी गेलानी के खिलाफ प्रॉपर्टी टैक्स बकाया मामले में तृतीय व्यवहार न्यायाधीश प्रत्युष चतुर्वेदी की अदालत में परिवाद दर्ज किया गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के जिलाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने मंगलवार को यह परिवाद दायर कर मेयर और पार्षद के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की है।
परिवाद के अनुसार, मेयर योगेश ताम्रकार की विंध्या सेरेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री, जो शहर के इंडस्ट्रियल एरिया में भवन क्रमांक 511 में स्थित है, पर लगभग 65 लाख रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। नगर निगम ने 26 मार्च 2016 को मेयर सहित 30 भवन स्वामियों को नोटिस जारी किया था, जिसमें उस समय फैक्ट्री पर 21 लाख 60 हजार 725 रुपये का टैक्स बकाया था। याचिकाकर्ता के वकील नरेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा 26 के तहत, यदि कोई जनप्रतिनिधि निर्वाचित होने के 3 महीने के भीतर बकाया टैक्स का भुगतान नहीं करता, तो वह अपने पद के लिए अयोग्य हो जाता है। मेयर और पार्षद पर बकाया राशि, जो कथित तौर पर करोड़ों में है, निर्वाचन के करीब 3 वर्ष बाद भी जमा नहीं की गई है।
2016 में नगर निगम की नोटिस के खिलाफ मेयर और अन्य बकायादारों ने प्रथम अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष याचिका दायर की थी। अदालत ने 2011 के बाद का प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने का आदेश दिया और 1997 से 2011 तक के टैक्स के लिए पुनरीक्षण की राहत दी। इसके खिलाफ मेयर ने हाईकोर्ट में अपील की, जहाँ उन्हें स्टे मिल गया। हालांकि, 28 मई 2024 को मेयर ने अपनी याचिका वापस ले ली।
AAP जिलाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने आरोप लगाया कि मेयर और पार्षद ने नियमों का उल्लंघन किया है, जिसके आधार पर उनके निर्वाचन को रद्द किया जाना चाहिए। इस मामले ने सतना की राजनीति में हलचल मचा दी है, और कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
2016 में नगर निगम की नोटिस के खिलाफ मेयर और अन्य बकायादारों ने प्रथम अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष याचिका दायर की थी। अदालत ने 2011 के बाद का प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने का आदेश दिया और 1997 से 2011 तक के टैक्स के लिए पुनरीक्षण की राहत दी। इसके खिलाफ मेयर ने हाईकोर्ट में अपील की, जहाँ उन्हें स्टे मिल गया। हालांकि, 28 मई 2024 को मेयर ने अपनी याचिका वापस ले ली।
AAP जिलाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने आरोप लगाया कि मेयर और पार्षद ने नियमों का उल्लंघन किया है, जिसके आधार पर उनके निर्वाचन को रद्द किया जाना चाहिए। इस मामले ने सतना की राजनीति में हलचल मचा दी है, और कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
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