मऊगंज के नईगढ़ी स्थित 500 वर्ष पुराने अष्टभुजा माता मंदिर में गुप्त नवरात्रि और हरियाली पूजा के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। आषाढ़ और सावन मास के बृहस्पतिवार और सोमवार को सुबह 4 बजे से ही मंदिर के पट खुल गए, और श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। विभिन्न राज्यों और जिलों से आए बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्गों ने माता के दर्शन किए।
मंदिर परिसर में धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन हुआ, जिसमें बच्चों के मुंडन और कर्ण छेदन संस्कार प्रमुख रहे। हवन-पूजन, कथा श्रवण और वेदमंत्रों का उच्चारण हुआ। भीड़ के बावजूद श्रद्धालुओं ने अनुशासन बनाए रखा। कई श्रद्धालुओं ने भंडारे का आयोजन किया, जबकि स्थानीय समिति और ग्रामीणों ने व्यवस्था को सुचारु रखने में योगदान दिया।
अष्टभुजा धाम का इतिहास 500 वर्ष पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार, वर्तमान मंदिर स्थल पर पहले घना जंगल था, जहां मां अष्टभुजा का चमत्कारिक प्राकट्य हुआ। एक ग्वाले ने जंगल में तेज ज्वाला देखकर उस पर पानी डाल दिया, जो माता का प्राकट्य था। उस समय सेंगर वंश के राजा प्रताप सिंह वहां गढ़ी का निर्माण करवा रहे थे। यह उत्सव मऊगंज की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का प्रतीक बना, जो श्रद्धालुओं की गहरी आस्था को दर्शाता है।
अष्टभुजा धाम का इतिहास 500 वर्ष पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार, वर्तमान मंदिर स्थल पर पहले घना जंगल था, जहां मां अष्टभुजा का चमत्कारिक प्राकट्य हुआ। एक ग्वाले ने जंगल में तेज ज्वाला देखकर उस पर पानी डाल दिया, जो माता का प्राकट्य था। उस समय सेंगर वंश के राजा प्रताप सिंह वहां गढ़ी का निर्माण करवा रहे थे। यह उत्सव मऊगंज की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का प्रतीक बना, जो श्रद्धालुओं की गहरी आस्था को दर्शाता है।
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