रीवा: सरकार द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों के लिए बनाई गई नई कार्य विभाजन नीति पर रीवा के राजस्व अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज कराई है। अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन पत्र आज उन्होंने कलेक्टर प्रतिभा पाल को सौंपा, जो मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम संबोधित था। अधिकारियों ने मांग की है कि कार्य विभाजन से पहले इसके लिए विधिवत नियम (बाय-लॉज) बनाए जाएं और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
क्या है मामला?
दरअसल, सरकार ने हाल ही में एक पत्र जारी कर सभी राजस्व अधिकारियों, जिसमें तहसीलदार और नायब तहसीलदार शामिल हैं, के कार्यों को 'न्यायिक' और 'गैर-न्यायिक' श्रेणियों में विभाजित करने का निर्देश दिया है। राजस्व अधिकारियों का कहना है कि यह विभाजन करने से पहले संसाधनों की कमी पर ध्यान नहीं दिया गया है। उनके मुताबिक, राजस्व न्यायालयों में पहले से ही ऑपरेटर और प्रवाचकों की भारी कमी है। नई नीति के तहत जो अधिकारी गैर-न्यायिक कार्य करेंगे, उनके लिए कंप्यूटर सिस्टम, बैठने की व्यवस्था और सहायक स्टाफ की कोई सुनिश्चितता नहीं की गई है।
"संसाधनों की कमी से जूझ रहा संवर्ग"
राजस्व अधिकारियों ने कहा कि संसाधनों की कमी के अभाव में वे अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर पाएंगे, जिससे आम जनता को भी परेशानी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे स्वामित्व योजना और फार्मर रजिस्ट्री में उनके संवर्ग ने उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने दावा किया कि फार्मर रजिस्ट्री के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है, जो राजस्व अधिकारियों और पटवारियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे सरकार के हर कार्य के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। इस ज्ञापन के बाद, राजस्व संघ अपनी भविष्य की रणनीति तय करने के लिए बैठक कर रहा है।
ज्ञापन सौंपे जाने के बाद, कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि यह एक नीतिगत विषय है और इस पर शासन के निर्देशों के अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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