शहडोल। बिरसा मुंडा शासकीय मेडिकल कॉलेज की MBBS फाइनल ईयर की 25 वर्षीय छात्रा शिखा बैगा ने रविवार तड़के अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना सुबह करीब 4 बजे की बताई जा रही है। प्रारंभिक जांच में पढ़ाई से जुड़े मानसिक तनाव को आत्महत्या का मुख्य कारण माना जा रहा है।
मृतका शिखा बैगा रेलवे लोको पायलट सोहनलाल बैगा की दूसरी बेटी थी। वह कॉलेज हॉस्टल में रहती थी, लेकिन शनिवार दोपहर अवकाश होने पर पिता के साथ घर आई थी। रविवार सुबह जब उसकी बहन कमरे में पहुंची तो शिखा फांसी के फंदे पर लटकी मिली। परिजनों ने तुरंत कोतवाली पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को फंदे से उतारा और पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी गई है।पुलिस ने छात्रा के कमरे से मोबाइल फोन और टैबलेट जब्त किया है। मोबाइल में एक संदेश मिला, जिसे शिखा ने खुद अपने ही नंबर पर टाइप किया था। इसमें उसने माता-पिता से माफी मांगी है और अगले जन्म में भी उन्हें ही माता-पिता बनाने की इच्छा जताई है। संदेश में पढ़ाई से जुड़ी मानसिक उलझन और तनाव का भी जिक्र है। पुलिस इन संदेशों को आत्महत्या के कारणों से जोड़कर गहन जांच कर रही है।
परिजनों ने बताया कि करीब दो महीने पहले भी शिखा ने मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में आत्महत्या का प्रयास किया था। उस समय रूममेट्स की सूचना पर कॉलेज प्रबंधन ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उसकी काउंसलिंग कराई गई थी। इस घटना की जानकारी परिवार को भी दी गई थी।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. गिरीश बी. रामटेक ने कहा कि छात्रा द्वारा घर में आत्महत्या की सूचना मिली है। पहले हॉस्टल में प्रयास के बाद काउंसलिंग और उपचार कराया जा रहा था, लेकिन इस तरह का कदम उठाएगी, इसका अंदाजा नहीं था।
कोतवाली थाने के उप निरीक्षक उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मर्ग कायम कर विवेचना जारी है। मोबाइल संदेशों और अन्य तथ्यों के आधार पर आत्महत्या के सटीक कारणों का पता लगाया जा रहा है।
यह घटना मेडिकल छात्रों में बढ़ते मानसिक तनाव और दबाव की गंभीर समस्या को एक बार फिर उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर काउंसलिंग और परिवार का सहयोग ऐसी दुखद घटनाओं को रोक सकता है।
परिजनों ने बताया कि करीब दो महीने पहले भी शिखा ने मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में आत्महत्या का प्रयास किया था। उस समय रूममेट्स की सूचना पर कॉलेज प्रबंधन ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उसकी काउंसलिंग कराई गई थी। इस घटना की जानकारी परिवार को भी दी गई थी।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. गिरीश बी. रामटेक ने कहा कि छात्रा द्वारा घर में आत्महत्या की सूचना मिली है। पहले हॉस्टल में प्रयास के बाद काउंसलिंग और उपचार कराया जा रहा था, लेकिन इस तरह का कदम उठाएगी, इसका अंदाजा नहीं था।
कोतवाली थाने के उप निरीक्षक उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मर्ग कायम कर विवेचना जारी है। मोबाइल संदेशों और अन्य तथ्यों के आधार पर आत्महत्या के सटीक कारणों का पता लगाया जा रहा है।
यह घटना मेडिकल छात्रों में बढ़ते मानसिक तनाव और दबाव की गंभीर समस्या को एक बार फिर उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर काउंसलिंग और परिवार का सहयोग ऐसी दुखद घटनाओं को रोक सकता है।


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