भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध आवाज हो रही बुलंद, लोकायुक्त का नाम सुनते ही छूट जाते हैं पसीने

Tuesday, 10 January 2023

/ by BM Dwivedi


14 महीने में 73 अपराध दर्ज, एक को मिली सजा

सरकारी तंत्र में न्याय की कुर्सी हो या फिर चौखट पर बैठा चौकीदार यदि कुछ तो छोड़ दे तो सभी भ्रष्टचार की चादर से लिपटे हुये हैं। बिना चढ़ोतरी के न तो चौकीदार हिलता है और न ही न्याय की कुर्सी में बैठे भ्रष्टाचारियों की टेबिल में रखी फाइलें हिलती है। ऐसा हम नहीं कहते देश का हर एक नागरिक इन भ्रष्टाचारियों के जाल में उलझ कर शिकार होने के बाद उनकी अंतरआत्मा कहती है। लेकिन अब जनता भी जागरुक हो गई और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध अपनी आवाज को बुलंद भी किया। अब तो हालात यह हो गई है कि सरकारी तंत्र में लोकायुक्त खौफ सा समां गया है। ऐसा नहीं कि मठाधीशों ने भ्रष्टचार की चादर उतार कर अलग रख दी, फर्क यह है कि पैसे लेने के तरीके बदल दिये। उसके बावजूद भी लोकायुक्त का भय बना रहता है। यदि यह कहा जाये कि किसी भी डील को करते समय भ्रष्टाचारियों को रात सपने में लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ न दिखाई देते हो तो शायद गलत होगा। लेकिन पैसे की लालच में भ्रष्टचार की मटकी में चोंच मार रही देते है, जहां पहले ही लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ का जाल बिछा होता है। और उस जाल में फंस कर ऐसे फडफ़ड़ाते है जैसे तालाब से बाहर निकलने के बाद मच्छली फडफ़ड़ाती है। एक साल के अंदर लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ ने बता दिया कि लोकायुक्त नाम का भी एक विभाग होता है। जिसके चंगुल से न तो पुलिस बच सकती है तो न ही राजस्व न्यायालय के माननीय लोग, यहां तक की चौखट में बैठा चौकीदार भी यदि भ्रष्ट है तो उनकी जाल में एक न एक दिन अवश्य फंसेगा। यहां तक की जनपद पंचायत के सीईओ तक एसपी लोकायुक्त गोपाल धाकड़ की बिछाये जाल में जा फंसे।


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कार्यवाही के आंकड़े बताते है जनता हो रही जागरुक 

लोकायुक्त में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध जनता जागरुक हो रही है। और फरियाद लेकर लोकायुक्त कार्यालय पहुंच रही जहां पीडि़त पक्ष को बराबर न्याय मिल रहा है। घूंस मांगने वाला चाहे किसी भी ओहदे पर क्यों न बैठा हो। यदि पीडि़त ने फरियाद की तो चंद दिनों में ही ओहदेदार घूंसखोर लोकायुक्त की जाल में फंस कर छटपटाने लगाता है। बताते चले कि एसपी गोपाल धाकड़ ने वर्ष 2021 के अंतिम माह में रीवा लोकायुक्त कार्यालय की कमान संभाली। कुर्सी पर बैठते ही 10 नवबंर को गोविंदगढ़ थाना में गाज बन कर गिर गये। टीआई से लेकर सिपाही तक को घूंस लेते हुये अपने शिकंजे में दबोच लिया। उसके बाद जो कार्यवाही शुरु हुई तो थमने का नाम नहीं ली। वर्ष 21 के अंत तक में 24 दिसंबर को सतना जिले के चित्रकूट नगर परिषद के मुख्य  नगर पालिका अधिकारी कृष्ण कुमार सिंह को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुये धर दबोचा। वर्ष 21 के महज एक माह में दस घूंसखोरो को दबोच कर बता दिया कि अब तुम्हारी खैर नहीं। जैसे ही वर्ष 2022 में 63 घूंस खोरों को रंगेहाथ पकड़ कर रीवा सहित शहडोल संभाग में लोकायुक्त का डंका पीट दिया। जिसमें एक से बढ़ कर एक मठाधीश लोकायुक्त के शिकंजे में आ फंसे।

घूंसखोरी में महिलायें भी पुरुषों से नहीं पीछे

मजे की बात तो यह है कि घूंसखोरी की इस बगिया में महिला अधिकारी/ कर्मचारी भी गुल खिलाने में पुरुषों से कम नहीं है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ की कार्रवाही से उजागर होता है। जिसमें रीवा जनपद पंचायत की सीईओ सुश्री विजय लक्ष्मी मरावी सहित महिला एवं बाल विकास मऊगंज में पदस्थ परियोजना प्रभारी माया सोनी, पर्यवेक्षक अंजू त्रिपाठी सहित हुजूर तहसील की पटवारी नीलम श्रीवास्तव शामिल है। शामिल नहीं तो बस पुलिस विभाग की महिला अधिकारी/कर्मचारी। ऐसा नहीं है कि पुलिस विभाग में अपनी सेवायें दे रही महिला निरीक्षक से लेकर आरक्षक तक ईमानदार है परंतु उनकी ईमानदारी के ढ़ोल तब तक ही पीटा जा सकता है जब तक कि लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ की जाल में न फंसे।

घूंसखोर जनपद सीईओ ने न्यायालय ने दी सजा

विशेष न्यायालय रीवा ने सोमवार को तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ गंगेव ऋक्षेश रावत को चार साल की सजा के साथ ही 25 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। इस बात की जानकारी लोकायुक्त कार्यालय द्वारा दी गई। लेकिन यह बात जैसे ही लोकायुक्त के शिकंजे में फंसे घूंसखोरी के बीच फैली तो उनके ब्लड प्रेशर हाई हो गये और खुली आंख में ही जेल के सलाखे, सोने के लिए दरी, बिछाने के लिए चादर और ओढऩे के लिए कंबल दिखने के साथ ही खाने के लिए बंदियों के साथ लगी लंबी कतारें दिखाई देने लगी। लोकायुक्त रीवा कार्यालय द्वारा बताया गया कि आरोपी जनपद सीईओ ऋक्षेश रावत को मनरेगा के तहत कराये गये कार्य संबंधी बिल पास कराये जाने पर देवदास द्विवेदी की शिकायत पर 20 हजार रूपये की रिश्वत लेते हुये पकड़ा गया था। जिसका चालान 7 मई 15 को न्यायालय में पेश किया गया था। वर्तमान समय में आरोपी ऋक्षेश रावत सहायक परियोजना अधिकारी जिला पंचायत बालाघाट में पदस्थ था।


हमारा उद्देश्य पीडि़त फरियादी को न्याय दिलाना और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करना है। जनता से मेरी अपील है कि कोई भी किसी कार्य के लिए रिश्वत की मांग करें तो सीधे मेरे कार्यालय आये। रिश्वत मांगने वाला चाहे किसी भी बड़े से बड़े ओहदे पर हो या फिर छोटा कर्मचारी हो मेरी टीम उसे जरुर सबक सिखायेगी। 

गोपाल धाकड, एसपी लोकायुक्त

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