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12 मार्च को भाजपा प्रत्याशी की मिल सकती है आहट
कभी बसपा के दामन पर बैठ कर चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी मृगेंद्र सिंह इन दिनों भाजपा का दामन थाम कर चल रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र की जनता के दिलों में अपनी पहुंच बताने के लिए 12 मार्च को एक वृहदरूप से धार्मिक आयोजन करने जा रहे है। जिसमें एक ओर जहां जगतगुरू स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी का आगमन होगा तो वहीं दूसरी ओर भोपाल से दिल्ली तक से भाजपा के वरिष्ट नेता शिरकत करेंगे। शायद यही पल होगा जब मऊगंज से आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा कि सुगबुगाहट निकल कर सामने आ सकती है।
एक ओर बहेगा पैसा तो दूसरी ओर जनसैलाब
मऊगंज विधानसभा में भाजपा की छवि पर ग्रहण लग चुका है। जनचर्चा के अनुसार विधायक अपने पांच साल के कार्यकाल में विकास के मार्ग को छोड़ कर केवल धरना प्रदर्शन पर ही जोर दिया। आने वाले समय में यदि भाजपा से पार्टी मृगेंद्र सिंह पर दांव खेलती है और कांग्रेस पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना पर तो चुनाव रोचक होगा। राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि एक ओर पैसा बहेगा तो वहीं दूसरी और जनसैलाब।
मौसमी फल की तरह नजर आते हैं मृगेंद्र सिंह
मृगेंद्र सिंह का नाम मऊगंज विधानसभा में मौसमी फल की तरह निकल सामने आता है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बीएसपी के बैनर तले मृगेंद्र सिंह का नाम जनता के बीच उछल कर आया और बसपा के बोट बैंक तक ही सीमित रहे। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वर्ष 2013 में भाजपा के कद्दावर प्रत्याशी लक्षमण तिवारी को 10 हजार बोटों से शिकस्त देकर विधायक का ताज पहनने वाले सुखेंद्र सिंह बन्ना वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी मृगेंद्र सिंह के चलते लगभग 35 हजार बोट तक ही सिमट कर रह गये थे। वहीं बसपा के साथ ही क्षत्रियों के बोट काट कर भी सपा से मैदान में आये मृगेंद्र सिंह बसपा के बोट बैंक के साथ 27 हजार बोट तक सीमित रहे। और दो ठाकुरों की लड़ाई में भाजपा से प्रदीप पटेल ने बाजी मार ली थी।
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