एसडीएम एवं नायब तहसीलदार मऊगंज के कारनामों से तंग आकर अधिवक्ता संघ ने संभागीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपते हुये दोनो को निलंबित कर कार्रवाई किये जाने की मांग की थी। इतना ही नहीं संभागीय आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री, राज्य मानवाधिकार, प्रमुख सचिव राजस्व के नाम ज्ञापन सौंपा था, जो संभागीय कार्यालय में दब कर रह गई। ज्ञापन को दिये हुये तीन माह गुजरने को है और संभागीय आयुक्त द्वारा कोई कार्रवाई न किया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर जहां अपर आयुक्त अपीलीय मामलों में एसडीएम को जमकर खरी-खोटी सुनाते है वहीं संभागीय आयुक्त की कार्यप्रणाली प्रश्नचिन्ह लगाने पर मजबूर करती है।अधिवक्ता संघ मऊगंज के अध्यक्ष हरिहर प्रसाद शुक्ला का कहना है कि मऊगंज का राजस्व विभाग भ्रष्टाचार की चादर लपेट कर किसानों का खून चूस रहा है। नायब तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक बिना चढ़ोतरी के फैसले नहीं करते। जिस ओर का वजन भारी रहा फैसला उसी के पक्ष में होता है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के हाथो राजस्व न्यायालय की कमान सौंप दी गई है जो किसानों के गले में लग कर खून चूस रहे।
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आत्मदाह के बाद भी संभागीय आयुक्त की नहीं खुली आंख
मऊगंज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हरिहर प्रसाद शुक्ला ने कहा कि जमीनी प्रकरण में भ्रष्ट अधिकारियों के चलते भू स्वामी गंगा सोनी राजस्व न्यायालय की बलि चढ़ गया। इन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से 3 नवबंर 22 को गंगा सोनी ने तहसील न्यायालय प्रांगण में आत्मदाह कर लिया। जिसकी उपचार के दौरान 7 नवबंर को मौत हो गई। आश्चर्य की बात यह है कि गंगा सोनी के आत्मदाह के बाद भी संभागीय आयुक्त की आंख नहीं खुली। और भ्रष्ट अधिकारियों को तहसील न्यायालय एवं अनुविभाग दंडाधिकारी का दायित्व सौंप रखा है।
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बहिष्कार के बाद भी कान में नहीं रेंगी जूं
मऊगंज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हरिहर प्रसाद शुक्ला ने बताया कि भ्रष्टाचार से लिप्त एसडीएम और नायब तहसीलदार के विरुद्ध मऊगंज के समस्त अधिवक्ता लामबंद हो चुके है। क्योंकि इनके भ्रष्टाचार की वजह से एक भू स्वामी बलि की बेदी पर चढ़ गया उसके बावजूद भी इन भ्रष्ट अधिकारियों की भूख शांत नहीं हुई। इन अधिकारियों को हटाये जाने के लिए अधिवक्ताओं ने 9 दिसंबर 22 को राजस्व न्यायालय को पूर्णतया बहिष्कार भी किया था। जिसकी गूंज कलेक्टर से लेकर संभागीय आयुक्त तक पहुंची थी। लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
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