एक मौका केजरीवाल को 2023 में अभिनाय के जरिये सदस्याता अभियान
रीवा। भाजपा अपने विकास रथ पर गौवान्वित हो रही है तो वहीं कांग्रेस आपसी गुटबाजी में उलझी हुई है। इस बीच आम आदमी पार्टी रीवा सहित प्रदेश में अपने पैर पसार रही है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली से 52 पर्यवेक्षक प्रदेश के प्रत्येक जिलों में जाकर अपने पैर जमा लिये हैं। केंद्र से रीवा जिले के आठों विधानसभा की जिम्मेदारी राशिद खान को सौंपी गई है। जो बीते एक माह से रीवा में गुमनाम की तरह रह रहे हैं। इस बात की भनक न तो भाजपा को है और न ही कांग्रेस को। यहां तक की मीडिया के भी राडार पर राशिद खान नहीं आ रहे है। अलबत्ता वह दबे पांव भाजपा और कांग्रेस की जड़े खोद कर डिजीटल प्लेट फार्म में आम आदमी पार्टी का जाल बिछा रहे है। आठो विधानसभा के हालात जानने के बाद अब वह डिजिटल प्लेटफार्म में सदस्यों को जोडऩे का काम शुरु कर दिया है। लक्ष्य तो लगभग पांच लाख लोंगो को जोडऩे का रखा गया है परंतु मिली जानकारी के अनुसार चार दिनों में 22 हजार लोगों को जोड़ कर धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे हैं। ऐसा दावा है कि विधानसभा चुनाव के पहले रीवा के आठो विधानसभा में आम आदमी पार्टी मजबूती के साथ खड़ी हो जायेगी। जिसका मुकाबला कर भाजपा और कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर होगा।पंजाब के फार्मूले पर आप कर रही काम
जिस तरह से पंजाब में आम आदमी पार्टी डिजिटल प्लेटफार्म बना कर अपना परचम लहरा दिया है। ठीक उसी फार्मूले पर रीवा सहित प्रदेश में काम कर रही है। एक माह के अंतराल में केंद्र से आये पर्यवेक्षक राशिद खान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता आठो विधानसभा में बैठक कर लोगों को पार्टी की विचारधारा से अवगत करते हुये अपने ओर आकर्षित किये जाने का प्रयास किया है। और घर-घर आम आदमी पार्टी का झंडा, बैनर पहुंचाने का प्रयास किया है।
रीवा विधानसभा में लगा रही सेंध
महापौर के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लगभग दस हजार से ज्यादा वोट हासिल कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है। एक ही झटके में उम्मीद से ज्यादा वोट मिलने पर आम आदमी पार्टी का मनोबल बढ़ गया और रीवा विधानसभा में भाजपा के गढ़ को भेदने के लिए केंद्र से आये राशिद खान के साथ कार्यकर्ता शहर के वार्डों का भ्रमण करना शुरू कर दिये है। बताया जाता है कि प्रत्येक विधानसभा में आम आदमी पार्टी के दस-दस कार्यकर्ताओं की टोली केंद्र से आये राशिद खान के नेतृत्व में काम कर रही है। आने वाला विधानसभा चुनाव परिणाम ही बता पायेगा कि आम आदमी पार्टी की जड़े कहां तक पहुंच पाई थी।
No comments
Post a Comment