रीवा। मध्यप्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी एंव पूर्व सांसद तथा विधायक स्व. सुंदरलाल तिवारी के निधन के पश्चात ऐसा लगा कि रीवा के अमहिया से कांग्रेस की राजनीत ही खत्म हो गई। जो कभी स्व. श्रीयुत एवं स्व. सुंदरलाल तिवारी के खास हुआ करते थे उनमें से बहुत से लोगो ने अमहिया से दूरी बना ली थी। कुछ अवसरवादी तो भाजपा में पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के पाले में जा कूदे। लेकिन जहां कांग्रेस के सिपाहियों की बात की जाये तो वह भी पार्टी के दूसरे खेमे से हाथ मिला लिये। उसके बावजूद भी स्व. सुंदरलाल तिवारी के पुत्र एंव स्व. श्रीयुत के पौत्र पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सिद्धार्थ तिवारी राज ने हार नहीं मानी और एक ओर जहां पार्टी के लिए निष्ठपूर्वक काम करते रहे वहीं दूसरी ओर अपने स्व. दादा एवं पिता के सपनों को साकार करने अमहिया की राजनीति का चिराग चलाते रहे। परिणाम यह हुआ कि एक दिन सभी बिखरों को समेटते हुये एक सूत में पिरो कर अमहिया में भव्य मिलन समारोह कर दिखाया। जिसमें ऐसे भी कुछ चेहरे थे जो कभी अमहिया की चौखट में न जाने की कसमें खा रखी थी।
सिद्धार्थ तिवारी की मेहनत का नतीजा
यह सिद्धार्थ तिवारी राज की मेहनत और विनम्र स्वभाव का ही नतीजा माना जा रहा है। स्व. श्रीयुत के भक्त कांग्रेस के वफादार सिपाही ने अपने नाम का उल्लेख न किये जाने की शर्त पर बताया कि रीवा नगर निगम के महापौर और जिला कांग्रेस कमेटी के जिला ग्रामीण अध्यक्ष के राजनीति की शुरूआत ही स्व. श्रीयुत एवं पूर्व सांसद एवं विधायक सुंदरलाल तिवारी के सानिध्य में हुई थी जो आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। नाम न छापने की शर्त पर बताया कि युवा नेता सिद्धार्थ तिवारी राज में अपने स्व. दादा और पिता की छवि झलकती है। सबको साथ लेकर चलना और पार्टी को मजबूत करने का जज्बा सिद्धार्थ तिवारी की फितरत में शामिल है।इसे भी देखें :मुझे शासन-प्रशासन से गिला नहीं, समाज की सेवा करना मेरा धर्म है: कमांडो अरुण गौतम
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