चुनाव लडऩे वाले जनता से करें संपर्क
गौरतलब है कि त्योथर विधानसभा क्षेत्र में सेनि. कमांडो अरुण गौतम जनता की आवाज बनकर सामने आये। जनता एक बड़ा सैलाब उनके साथ है। जिसमें दलित आदिवासी से लेकर सेनि. आर्मी के जवान भी शामिल है। कमांडो अरुण गौतम पर पुलिस ने रासुका लगा कर जेल भेज दिया। पांच माह जेल में काटे, इस दौरान किसी भी पार्टी का कोई भी नेता उन पर लगे रासुका का विरोध नहीं किया और नही जेल में जाकर उनके हालातों का जायजा। लेकिन जैसे ही कमांड़ो जेल से छूट कर बाहर निकले तो विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे नेताओं के कमांडो से मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। जिस पर पत्रकारों द्वारा किये गये सवाल का जबाब देते हुये कमांडो अरुण गौतम ने कहा कि चुनाव लडऩे वाले नेता जनता से मिले मुझसे नहीं। जो जनता के दिलों को जीत कर चुनाव जीतेगा उसके सामने मैं जनहित के मुद्दे रखुंगा और उनको जनता की आवाज सुननी होगी।
जेल में मथुरा साकेत की हुई थी हत्या
केंद्रीय जेल रीवा की अव्यवस्थाओं का जिक्र करते हुये सेनि. कमांडो अरुण गौतम ने कहा कि सात सौ बंदी के रहने के स्थान पर ढाई हजार बंदी रह रहे है। न तो उनको सोने के लिए स्थान मिलता और नही भर पेट भोजन। यातनाओं के दौर से बंदियो को गुजरना पड़ता है। कहने को तो आये दिन जेल में न्यायाधीश का निरीक्षण होता है लेकिन न्यायाधीश को जेल की हकीकत से हट कर दिखाया जाता है। कहने को तो कोरोना की गाइड लाइन जारी कर दी गई लेकिन जेल के अंदर कोरोना का कोई पालन नहीं होता। एक ही बिस्तर पर चार-चार लोग सोते है। रात्रि बाथरूम के लिए उठने के लिए बंदी को कई बार सोचना पड़ता है। पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवाल पर सेनि. कमांडो ने बताया कि जेल के अंदर ही जानकारी लगी कि बंदी मथुरा साकेत की निर्मम तरीके से हत्या की गई। हत्या का आरोप कमांडो तत्कालीन चक्कर अधिकारी संजू नायक एंव जेलर रविशंकर सिंह पर लगाया। बताया कि गोल में लगने वाले बंदियो ने मथुरा साकेत को बेरहमी से पिटा। यहां तक की बीच-बीच में उसे पानी से भरी टंकी में डाल देते थे। जब उसकी मौत हो गई तो जेल प्रशासन कोरोना से मौत होने की कहानी रच डाली। यदि इसकी जांच की जाये तो कई बंदियो के साथ ही कई बड़े अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं।
No comments
Post a Comment