पुलिस पर दबाव बनाने के लिए न्यायालय में दायर किया था परिवाद
रीवा। अपराधी अपराध करे और पुलिस उनको पकड़े न, ऐसा तो हो नहीं सकता। परंतु पुलिस को ऐसे दौर से भी गुजरना पड़ता है जब अपराधियों को पकडऩे के दौरान उन पर कई गंभीर आरोप लगते है। फर्जी मामला गढऩे के लिए तो रीवा ख्याति प्राप्त है। यह अलग बात है कि न्यायालय में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है। परंतु न्यायालय के निर्णय आने तक पुलिस को मुसीबतों का सामना करना पड़ जाता है। रीवा पुलिस पर हत्या, बलात्कार जैसे फर्जी आरोप लगाये गये और पुलिस ऐसे आरोपों का सामना करते हुये अपने दायित्वों को निभा रही है। हाल में एसडीओपी डभौरा विनोद सिंह परिहार, टीआई हरीश दुबे, उप निरीक्षक जगदीश सिंह ठाकुर, आरक्षक मानधाता तिवारी और मनीष कुमार पांडेय पर एक महिला ने छेड़छाड़ सहित मारपीट किये जाने का आरोप लगाया था। जिसका साथ अधिवक्ता बीएल तिवारी ने बखूबी दिया। बकायदा परिवाद बना कर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के यहां दायर किया। साक्ष्यों और महिला के बयान पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट ने आरोपित एसडीओपी, टीआई, उप निरीक्षक सहित दोनो पुलिसकर्मियों पर छेड़छाड़ सहित मारपीट का आरोप पंजीबद्ध करते हुये 14 नवम्बर 22 को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी कर दिया।
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खिसक गई पैरों तले जमीन
जैसे ही इस बात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को लगी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई और अपने बचाव में वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम सिंह के शरण में जा पहुंचे। अधिवक्ता घनश्याम सिंह के जूनियर अधिवक्ता जेडी कछवाह, अनिल सिंह और पार्थ सिंह पुलिस अधिकारियों के बचाव में उतर गये। और प्रथम श्रेणी मजिस्टे्रट के फैसले पर पुर्नविचार किये जाने के लिए दसम अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती संगीता मदाम के न्यायालय में अर्जी लगाई। लगभग एक दर्जन साक्ष्यों को प्रस्तुत कर प्रत्येक बिंदू पर अधिवक्ताओं ने मा. न्यायालय से लगभग डेढ़ घंटे तक जिरह की। मा. न्यायालय ने दोनो पक्षों को सुनने के उपरांत इस निर्णय पर पहुंची कि फरियादिया पर पूर्व से अपराधिक मामला पंजीबद्ध है जो न्यायालय में विचाराधीन है। उक्त मामले में पुलिस पर दबाव बनाने के लिए अपने अधिवक्ता से मिलकर षणयंत्र पूर्वक पुलिस अधिकारियों को फंसाने की साजिश रची। लिहाजा मा. दसम अपर सत्र न्यायालय ने 22 फरवरी 23 को अपने फैसले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के फैसले को निरस्त करते हुये एसडीओपी सहित अन्य पुलिस कर्मियों को दोषमुक्त कर दिया।
बलात्कार एवं पास्को एक्ट के आरोपी देवर को बचाने में उलझ गई थी पुलिस से
अधिवक्ता जेडी सिंह कछवाह ने बताया कि फरियादिया के देवर पर गढ़ थाना में बलात्कार एंव पास्को एक्ट का अपराध दर्ज था। वर्ष 2017 में एसडीओपी डभौरा विनोद सिंह परिहार गढ़ थाना के प्रभारी थे। तत्कालीन गढ़ थाना प्रभारी विनोद सिंह परिहार आरोपी को पकडऩे गुढ़ थाना क्षेत्र गये थे। जहां से तत्कालीन गुढ़ थाना प्रभारी हरीश दुबे एवं तत्कालीन पीएसआई जगदीश सिंह ठाकुर सहित पुलिस बल लेकर पुरवा गांव पहुंचे। और बलात्कार के आरोपी को दबोच लिया। लेकिन वहां मौजूद महिला और उसके साथ अन्य व्यक्तियों ने पुलिस पर हमला कर आरोपी को छुड़ा लिया और मौके से भगा दिया। जिस पर पुलिस ने परिवाद दायर करने वाली महिला सहित उसके सहयोगियों पर शासकीय कार्य में बाधा डालने सहित अन्य अपराध पंजीबद्ध कर गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश कर दिया था। उक्त मामला विचाराधीन है जिसमें पुलिस पर दबाव बनाने की लिये आरोपित महिला ने मनगढंत कहानी रची थी।
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