रीवा. सेमरिया तहसील में पदस्थ प्रभारी तहसीलदार सौरव द्विवेदी पर कलेक्टर आखिर क्यों मेहरबान है? यह सवाल स्थानीय लोगों के जेहन में बीते एक माह से गूंज रहा है। जिस पर रिश्वत लेने का आरोप लगा हो और लोकायुक्त की टीम ने उसके लिपिक को रंगेहाथ घूंस लेते पकड़ा हो वो प्रभारी तहसीलदार आज भी सेमरिया तहसील की कुर्सी में विराजमान है। आखिर किस माननीय का हाथ प्रभारी तहसीलदार पीठ पर है जो कलेक्टर आज तक उनकी कुर्सी नहीं हिला पाये। तरह-तरह की चर्चाऐं सेमरिया तहसील क्षेत्र में गंूजमान है। सोच का विषय है कि लोकायुक्त भी इस मामले में चुप्पी साधे हुये है। बताते चले कि घटना 18 जनवरी 23 की है, शिकायतकर्ता रामप्रकाश साकेत पिता श्यामलाल साकेत निवासी ग्राम बरा की शिकायत पर लोकायुक्त की टीम ने सेमरिया तहसील में दबिश देकर मुख्य लिपिक रावेंद्र शुक्ला को चार हजार रुपये रिश्वत लेते हुये रंगेहाथ पकड़ा था। जिस पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अंर्तगत अपराध पंजीबद्ध कर लिया था। जिस वक्त लोकायुक्त की टीम ने तहसील सेमरिया में दबिश दी उस वक्त प्रभारी तहसीलदार घटना के दिन अवकाश पर थे। बताते चले कि प्रभारी तहसीलदार सेमरिया सौरव द्विवेदी गुढ़ तहसील में पदस्थ थे उन दिनों भी वह गुढ़ तहसील क्षेत्र में काफी सुर्खियों पर रहा करते थे।
सेमरिया की जनता को लुटने से बचाने के लिए लगाई थी गोहार
शिकायतकर्ता राम प्रकाश साकेत ने लोकायुक्त को दिये गये आवेदन में सेमरिया की जनता को लुटने से बचाये जाने के लिए एसपी लोकायुक्त से गोहार लगाई थी। बताया कि बीपीएल राशन कार्ड बनवाये जाने के लिए तहसील में 10 हजार रुपये की मांग की जाती है। गरीब व्यक्ति यदि दस हजार रूपये घूंस देने में सक्षम हो तो वह गरीबी रेखा में ही क्यों आता? आवेदन में शिकायतकर्ता ने एसपी लोकायुक्त से मांग की थी कि भ्रष्ट तहसीलदार पर कार्रवाही की जाये ताकि फिर सेमरिया तहसील में इस तरह का भ्रष्टाचार न हो।
गिड़गिड़ता रहा दलित, नही पसीजे घंूसखोर
राम प्रकाश साकेत ने अपने आवेदन में बताया कि उसकी पत्नी बीमार रहती है। जिसके इलाज के लिए गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनवाने तहसील गया था। आवेदन लेकर जब तहसीलदार से मिला तो उन्होंने लालमन से मिलने के लिए कहा। लालमन उसे तहसीलदार के लिपिक रावेंद्र शुक्ला के पास ले गया। जो उससे राशन कार्ड बनाये जाने के लिए तहसीलदार के नाम पर दस हजार रुपये की मांग की। मौके पर तो गरीब के पास महज सौ रूपये ही थे। लिपिक के सामने शिकायतकर्ता ने काफी रोया और गिड़गिड़ाया परंतु उसके दिल नहीं पसीजा। निर्दयी दिल को सबक सिखाने राम प्रकाश साकेत ने ठान ली और सीधे लोकायुक्त कार्यालय की चौखट पर जा गिरा। लोकायुक्त ने लिपिक को चार हजार रुपये लेते हुये तो पकड़ लिया लेकिन प्रभारी तहसीलदार बाल-बाल बच गये। जबकि शिकायतकर्ता ने अपने आवेदन में लिखित रूप से तहसीलदार सहित लिपिक पर घूंस मांगे जाने का आरोप लगाया है।
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