Rewa News: डॉक्टर ने मासूम को मां की गोद से छीना, बच्चे की मौत के बाद निजी अस्पताल के साथ मिल कर इलाज का करता रहा ड्रामा!

Monday, 13 March 2023

/ by BM Dwivedi

 

वीरेंद्र सिंह सेंगर बबली 
रीवा. 
शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक कुकुरमुत्ते की तरह नर्सिग होम खुले हैं। जिनके पास न तो संसाधन और न ही कुशल डॉक्टर्स और नर्स उसके बावजूद भी मौत की दुकान चला रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी प्रशासन को नहीं है, परंतु ऐसे नर्सिगहोमों पर कार्रवाई करने के बजाय अपनी आंखे बंद रखे है। जिसकी वजह से प्रशासन तंत्र पर भी उंगली उठती है। नर्सिग होम के संचालक लाशों तक से सौदा करते है और प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखती है। मरीज सुविधा के लिये नर्सिगहोम जाते हैं परंतु वहां पैर रखते ही उनका आर्थिक शोषण होना शुरु हो जाता है। यहां तक की खून तक चूसने में नर्सिगहोम में बैठे कसाई रूपी डॉक्टरों को रहम नहीं आती। कहने को तो ये धरती के भगवान कहे जाते है लेकिन चंद पैसों की लालच में ये लाशों से सौदा करते हुये दिखाई देते है। पीके स्कूल के पीछे भी एक ऐसा नर्सिगहोम है जो मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करने में कोई कोताही नहीं बरत रहा है। ताबुज की बात यह है कि बिना संसाधन के चल रहे नर्सिगहोम  सेंटर पर प्रशासन की नजर क्यों नहीं पड़ रही है। प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है कि इस नर्सिगहोम का संचालक डॉक्टर एक मां की गोद से उसके ढाई साल के मासूम को छीन लिया। इतना ही नहीं अपनी लापरवाही का ठींकरा एक दूसरे निजी अस्पताल पर फोडऩे की चाल चलने में कोई कोताही नहीं बरती।

Also Read:पत्नी व दो साल के बेटे की नृशंस हत्या कर एसआई ने ट्रेन से कटकर दी जान, जानिये वारदात की वजह

मासूम बच्चे के पिता ने लगाये कई अरोप

इस ढाई साल के मासूम यर्थाथ मिश्रा के पिता शिवम मिश्रा निवासी रमकुई ने आरोप लगाया है कि सिटी मेडिकल सेंटर नर्सिगहोम के संचालक डॉ. गौरव त्रिपाठी की वजह से ही उसके बच्चे की जान चली गई। इतना ही नहीं बच्चे को मृत अवस्था में पुराने बस स्टैड समीप संचालित निजी हास्पिटल मिनर्वा हास्पिटल में ले गया और दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों ने मासूम की लाश के साथ इलाज का ड्रामा करते रहे। ड्रामे से पर्दा तब उठा जब विरोध किये जाने पर मौके में पुलिस पहुंची। पुलिस ने मासूम के शव को अपने कब्जे में लेकर एसजीएमएच के मर्चुरी में रखवा दिया। रविवार की सुबह शव का पीएम करवा कर अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया गया। मृतक यर्थाथ के पिता शिवम मिश्रा ने बताया कि 7 मार्च को बुखार आने पर बच्चे को पीके स्कूल के पीछे संचालित नर्सिगहोम में भर्ती करवाया था। जहां डॉक्टर ने जांच उपरांत बताया कि हीमोग्लोबिन की कमी है। जिसके लिए खून की व्यवस्था करें।

Also Read:पति-पत्नी और तीन बेटियों के घर में मिले शव, एमपी में लगातार दूसरी घटना, जानिये वारदात की वजह

खून चढ़ाते ही बिगडऩे लगी तबीयत

शिवम मिश्रा ने बताया कि नर्सिगहोम के डॉक्टर ने बच्चे को खून चढ़ाने के लिए एक अन्य निजी अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड लाने का दबाव बनाया। वहां से जब खून लेकर दिया तो उसे चढ़ाते ही बच्चे की तबियत बिगडऩे लगी। थोड़ी देर के लिए खून चढ़ाना बंद कर बच्चे को तीन-चार इंजेक्शन लगा दिये। बच्चे के सोने बाद फिर खून चढ़ा दिया। देखते ही देखते बच्चे का पेट फूलने लगा और कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। इस बात का एहसास तब हुआ जब डॉक्टर ने उनसे बच्चे को पुराने बस स्टैंड के पास संचालित निजी अस्पताल लेकर चलने को कहा और उन्होने बच्चे को गोद में लिया। जहां  ले जाकर बच्चे को वेंटीलेटर में डाल दिया और उपचार किये जाने का ड्रामा करते रहे।

No comments

Post a Comment

Don't Miss
©|Rahiye Update| All Rights Reserved