Story of the world's oldest elephant: मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में मौजूद पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला जो कि दुनिया की भी सबसे बुजुर्ग हथिनी है। अभी उसकी उम्र करीब 100 साल होने का अनुमान है। हालांकि जन्म से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं होने के कारण सही उम्र का पता नहीं चल पा रहा है। जिसके कारण उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज नहीं हो पा रहा है। वास्तविक उम्र का पता लगने के बाद वत्सला का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराने की राह आसान हो जायेगी। इसके लिये दाढ की कार्बन डेटिंग करवाने का निर्णय लिया गया है।
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कार्बन डेटिंग करवाने का निर्णय
टाइगर रिजर्व के वाइल्ड लाइफ चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता ने के मुताबिक वत्सला की उम्र का पता लगाने के लिए मोटल टीथ (दाढ) की कार्बन डेटिंग करवाने का निर्णय लिया है, जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसी सप्ताह बाद कार्बन डेटिंग के लिए दाढ़ को हैदराबाद लैब भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि वत्सला की उम्र करीब 100 साल बताई जा रही है, जबकि दुनिया के सबसे अधिक उम्र वाले हाथी लिन वांग (ताइवान) की 86 वर्ष की आयु में 26 फरवरी 2008 को मौत हो चुकी है। इस लिहाज से मौजूदा समय में वत्सला पूरी दुनिया में सबसे अधिक उम्र की हथिनी है। इसके बावजूद अभी तक उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका है। टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार वत्सला केरल के नीलांबर वन डिवीजन में जन्मी थी, लेकिन वहां से जन्म संबंधी रिकॉर्ड नहीं मिल पाने के कारण उसकी सही उम्र का पता नहीं चल पा रहा है। इस दिशा में अब निर्णायक प्रयास किया जा रहा है।
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वत्सला का केरल से पन्ना तक का सफर
पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की कहानी बेहद दिलचस्प है। वह केरल के नीलांबर फॉरेस्ट डिवीजन में पली-बढ़ी हैं। इसे 1971 में केरल से होशंगाबाद मध्यप्रदेश लाया गया। उस समय वत्सला की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। वर्ष 1993 में उसे होशंगाबाद के बोरी अभयारण्य से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया। तभी से यह हथिनी यहां की पहचान बनी हुई है। वत्सला के साथ होशंगाबाद से महावत रमजान खान और चारा कटर मनीराम भी आए थे, जो आज भी यहां उसकी देखरेख कर रहे हैं। वत्सला की अधिक उम्र व सेहत को देखते हुए वर्ष 2003 में उसे कार्य मुक्त कर दिया गया था। तब से किसी कार्य में उसका उपयोग नहीं किया गया।
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