रीवा. जिले के नईगढ़ी थाना के छुहिया गांव में रंगोत्सव के दिन मातम सा छा गया। परिवार के ही सदस्यों ने पीएम आवास के पिलर बनवाये जाने के लिए विवाद पर अधेड़ के साथ मारपीट कर दी। जिससे उसकी उपचार के पहले ही मौत हो गई। पुलिस ने हत्या का अपराध पंजीबद्ध कर दो आरोपियों को तुरंत दबोच लिया था। दो फरार आरोपियों की सरगरमी से तलास कर रही है। थाना प्रभारी जगदीश सिंह ठाकुर ने बताया कि छुहिया निवासी श्यामलाल साकेत पिता रघुनंदन साकेत 55 वर्ष की मारपीट के दौरान मौत हो गई। हत्या को अंजाम गांव के ही शिवाकांत साकेत पिता जगतधारी, आशीष साकेत पिता प्रेमधारी, विनय साकेत एवं रोहित साकेत ने मिलकर दिया। पुलिस ने घटना के बाद ही शिवाकांत और आशीष साकेत को दबोच लिया। फरार आरोपी विनय साकेत और रोहित साकेत की तलास में जगह-जगह दबिश दे रही है। पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन भी घटना स्थल का जायजा लेने पहुंचे।
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पिलर में था स्थगन आदेश, देता रहा गाली
पुलिस ने बताया कि मृतक श्यामलाल साकेत को पीएम आवास के लिए राशि स्वीकृत हुई थी। घर निर्माण के लिए पिलर खनवा रहा था। जिस जमीन पर पिलर खनवा रहा था उक्त जमीन के लिए आरोपीगण अपना होने का दावा कर स्थगन आदेश ले लिये। जिसकी वजह से मृतक श्यामलाल और आरोपीगणों के बीच आये दिन विवाद होता था। 8 मार्च को दोनो पक्षों के बीच फिर से विवाद हुआ तो आरोपीगण एकत्रित होकर लात घूंसो से पिटाई कर दी। कई वार श्यामलाल के सीने में भी लगे जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। परिजन आटो में लेकर उपचार के लिए नईगढ़ी आ रहे थे। तभी रास्ते में श्यामलाल ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने पीएम करवा कर शव परिजनों को सौंप दिया।
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लाश पर राजनीति करने पहुंचे अध्यक्ष के पति
रीवा में लाश पर राजनीति करने वालों की कमी नहीं है। कुछ ऐसे नेता है जो लाश पर अपने राजनीति की रोटी सेंकते है। कुछ दिन पहले हनुमना थाना क्षेत्र में हुये सड़क हादसे में एक छुटभैया नेता लाश रख कर अपने राजनीति की रोटी सेंक रहा था। जिसके विरुद्ध पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। नईगढ़ी थाना क्षेत्र के ग्राम छुहिया में हुये श्यामलाल साकेत की हुई हत्या में जनपद अध्यक्ष के पति राजनीति करने पहुंच गये। मृतक के परिजनों को काफी बरगलाया कि लाश रख कर मुआवजे की मांग करो और पुलिस के विरोध में आवाज उठाओ, हम तुम्हारे साथ है। मजे की बात यह है कि मसीहा बन कर आये नेता जी की बातों का असर मृतक परिवार में नहीं हुआ। और गुजराज में रह रहे मृतक के पुत्रों के आने पर शुक्रवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। बताते चले कि श्यामलाल साकेत की हत्या 8 मार्च को दोपहर हुई थी। पुत्रों के बाहर रहने की वजह से उनके आने का इंतजार मृतक परिवार कर रहा था। परंतु वहीं पड़ोस में रह रहे नेता जी को न ही 8 मार्च का समय मिला और न ही 9 मार्च को। 10 मार्च के दिन जब अंतिम संस्कार का समय आया तो लाश पर राजनीति करने पहुंच गये। स्थानीय लोगों ने बताया कि नेता जी जैसे ही पुलिस को देखे तो वहां से खिसक गये।
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