वीरेंद्र सिंह सेंगर बबली
रीवा.एक कहावत है कि तालाब खुदी नहीं और मगर पहले ही तैर गये। इन दिनों यह कहावत शायद कांग्रेसियों पर चरितार्थ हो रही है। बीस साल से सत्ता से दूर रहने पर कांग्रेसी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। संगठन को मजबूत करने जनता के बीच जाकर कांग्रेस की रीति-नीति समझाने के बजाय स्वंयभू विधायक प्रत्याशी घोषित कर इतराना शुरु कर दिये थे। जिन पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने नकेल लगा दी। उन तक इस बात की शिकातय पहुंची कि कांग्रेस के कार्यकर्ता हो या फिर नेता पार्टी के निर्देशों का पालन न कर विधानसभा क्षेत्र में अपने को भावी विधायक प्रत्याशी घोषित कर लिया है। जिससे पार्टी में तकरार की स्थिति निर्मित होने लगी थी। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश पर कुछ दिन पूर्व उपाध्यक्ष्य संगठन प्रभारी राजीव सिंह ने पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि कोई अपने को स्वंयभू विधायक प्रत्याशी घोषित करता है तो उसके खिलाफ पार्टी द्वारा अनुशासन की कार्रवाई की जायेगी। यह पत्र पहुंचते ही स्वंभू विधायक प्रत्याशियों के रंग और रुतबे बदल गये।
सेमरिया विधानसभा में अभय मिश्रा ने उड़ाई आंधी
अभय मिश्रा सेमरिया विधानसभा में भाजपा से विधायक चुने जा चुके थे। कतिपय कारणों से अभय मिश्रा को भाजपा छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामना पड़ गया। कांग्रेस में आते ही रीवा विधानसभा से भाजपा विधायक राजेंद्र शुक्ला के विरोध में चुनाव लड़े थे, लेकिन रीवा की जनता ने उनको नकार दिया था। उसके बाद वह अपनी जमीन सेमरिया विधानसभा में फिर बनाने लगे। राजनैतिक सूत्र बताते हैं कि हाल ही में कांग्रेस पार्टी द्वारा चलाये गये घर-घर चलो, हाथ से हाथ जोड़ो, भारत जोड़ो आदि अभियानों पर पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने सेमरिया विधानसभा से अपने आप को कांगे्रस का भावी प्रत्याशी घोषित कर लिया। उसके बाद देवतालाब, गुढ़, त्योथर, सिरमौर सहित रीवा की आठों विधानसभा से स्वंभू विधायक प्रत्याशियों की आवाज गूंजने लगी थी।
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