वीरेन्द्र सिंह बबली
New rumor started in Rewa Congress: रीवा नगर निगम में कांग्रेस का पचरम लहराने के बाद कांग्रेसियों में एक ऊर्जा का संचार हुआ। कांग्रेसियों की नजर अब रीवा विधानसभा सीट पर टिकी हुई है। जिसे हासिल करने के लिये कांग्रेसी गुणा गणित कर रहे हैं। कांग्रेस में दावेदार तो बहुत है कई लोगों ने जोर अजमाईश भी की। लेकिन रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला (Rewa MLA Rajendra Shukla) के आगे किसी की दाल नहीं गली। भाजपा का दामन छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुये अभय मिश्रा (Abhay Mishra) ने भी रीवा विधानसभा जीतने के प्रयास में काफी उछल कूद की लेकिन सफलता हासिल नहीं लगी। यह अलग बात है कि अभय मिश्रा ने भाजपा विधायक राजेंद्र शुक्ला के दातों पसीना जरुर निकाल दिया था।
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दिग्गजों के बाद नई सुगबुगाहट
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में महापौर अजय मिश्रा बाबा (Ajay Mishra Baba), ग्रामीण अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा (Rajendra Sharma) सहित कई दिग्गज नेताओं के नाम सामने आ रहे है। परंतु अंदर की सुगबुगाट से नई आवाज निकल कर सामने आई है जो रीवा विधानसभा में कांग्रेस की ओर से प्रबल दावेदार के रूप में केके गुप्ता (KK Gupta) का नाम ले रहे। बताते चलें कि हाल ही हुये सर्व में रीवा से 10360 मतदाताओं के नाम कट गये हैं जो ग्रामीण अंचल में रहने के साथ ही रीवा शहर में भी उनके नाम जुड़े हुये थे। कांग्रेस यह मान रही है कि इस कार्य से उनकी पार्टी को आने वाले चुनाव में लाभ मिलेगा। वहीं केके गुप्ता के समर्थक मान रहे है कि एक विशेष जाति का वोट बैंक साफ हो गया। जिसके दम पर भाजपा के विधायक राजेंद्र शुक्ला की जीत होती थी।
2003 के चुनाव में केके थे शुक्ला के निकटतम प्रतिद्वंदी
चर्चा है कि यदि कांग्रेस से केके गुप्ता (KK Gupta) चुनाव मैदान में आते है तो वैश्य एवं व्यापारी समाज के साथ ही क्षत्रिय, ओबीसी सहित ब्राम्हण समाज के वोट उनके पाले में जायेंगे। इसके साथ ही बसपा से जुड़े लोग भी उनके साथ चुनाव मैदान में खरे उतरेगे। बताते चले कि केके गुप्ता वर्ष 2003 में रीवा विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे थे। जो लगभग 24 हजार बोट पाकर भाजपा विधायक राजेंद्र शुक्ला (Rewa MLA Rajendra Shukla) के निकटवर्ती प्रत्यासी के रूप में रहे। वहीं जब वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव हुआ तो रीवा के राजनीतिज्ञों ने अपनी कुर्सी खतरे में देखते हुये बसपा से केके गुप्ता का नाम कटवा कर कासिम खान को चुनाव मैदान में उतरवा कर अपने लिए मैदान खाली कर लिया था। बसपा से दगा खाये केके गुप्ता ने वर्ष 2019 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। तब से वह कांग्रेस के वफादार कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए काम कर रहे है। हाल ही हुये महापौर चुनाव में नगर निगम से भाजपा का झंडा उखाडऩे में वैश्य एंव व्यापारी समाज के साथ ही भाजपा से रूष्ट ओबीसी एवं राजपूत तथा ब्राम्हण मतदाताओं की अहम भूमिका था।
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