रीवा. संजय गांधी अस्पताल (Sanjay Gandhi Hospital Rewa) में व्याप्त अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए हाल ही में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की गई है। लेकिन व्यवस्था परिवर्तन के बाद नया प्रबंधन भी व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं कर पाया है। दरअसल सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम (Assembly Speaker Girish Gautam) एक मरीज कार्यर्ता को देखने अचानक एसजीएमएच अस्पताल पहुंच गए। मरीज को देखने वार्ड तक जाने के लिये वह लिफ्ट के पास पहुंचे तो लिफ्ट बंद थी। वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि जल्द ही यह चालू हो जायेगी। जिसके बाद काफी देर तक वह वहीं पर रुके भी रहे, लेकिन जब लिफ्ट चालू नहीं हुई तो वह सीढिय़ों के सहारे ऊपरी मंजिल के वार्ड तक पहुंचे। मरीज को देखने के बाद वापस लौटे विधानसभा अध्यक्ष ने अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि आखिर वह क्या व्यवस्थाएं देखते हैं। उन्हें प्रबंधन की ओर से बताया गया कि बिजली गुल होने की वजह से लिफ्ट बंद हो गया है। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि इतने बड़े अस्पताल में मरीजों को भी त्वरित रूप से लिफ्ट के जरिए वार्ड तक पहुंचाना होता है। ऐसे में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा।
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नये डीजी सेट का मांगा प्रस्ताव
काफी देर तक अव्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने नाराजगी जाहिर की और फिर कहा कि यदि किसी सामग्री की जरूरत है तो उसके बारें में उन्हें बताएं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सरकार के पास धन की कमी नहीं है। लगातार व्यवस्थाएं देने के बाद भी यदि ऐसे ही रहेगा तो फिर से बड़ा एक्शन लेना पड़ेगा। विधानसभा अध्यक्ष मेडिकल कालेज डीन और अस्पताल अधीक्षक से कहा है कि बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए डीजी सेट खरीदने का प्रस्ताव बनाकर दें, इसके लिए राशि वह मुहैया कराएंगे।
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अव्यवस्था के चलते किया गया बदलाव
संजयगांधी अस्पताल में लगातार मिल रही अव्यवस्थाओं की शिकायतों के चलते ही कुछ दिन पहले ही मेडिकल कालेज के डीन रहे देवेश सारस्वत को हटाकर मनोज इंदुरकर को नया डीन बनाया गया है। जबकि संजयगांधी अस्पताल के अधीक्षक सह संयुक्त संचालक रहे अवतार सिंह यादव को भी बदला गया और उनके स्थान पर राहुल मिश्रा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। अस्पताल की अव्यवस्था का मामला विधानसभा तक गूंजा था। जिस पर विधायकों ने आरोप व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाए गए थे। जिसके चलते मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था और डीन एवं अधीक्षक दोनों प्रमुख पदों में अधिकारियों को बदल दिया था। इसके बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं होने से सवाल उठ रहे हैं।
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