रीवा. परित्यक्तता लाडली बहना आरती केवट को न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। पति ने घर से निकाल दिया और मायके वालों ने मारपीट की, जिसकी पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। अब आरती विगत 11 अप्रेल से स्थानीय वेंकट भवन परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हुई है। पीडि़ता ने मुख्यमंत्री से न्याय की मांग की है।
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मायके वालों ने भी किया किनारा
विश्वविद्यालय थाना अंतर्गत ग्राम बरा कोपरिहन टोला निवासी आरती केवट पिता रामकरण केवट की शादी 1997 में रीवा के महाजन टोला निवासी राम दुलारे केवट के साथ हुई थी। लेकिन कुछ समय बाद उसके पति राम दुलारे केवट ने दूसरी महिला से ब्याह रचाकर उसे छोड़ दिया। जिसके चलते 20 वर्ष से वह परित्यक्तता जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। मायके में वह अपने बूढ़े माता-पिता के साथ रहती है जहां उसके भाई एवं भाभी आएदिन तंग करते हैं। जिसकी वजह से वह अपने मायके में भी नहीं रह पा रही है। आरती ने बताया कि उसने कुटुंब न्यायालय में अपने पति के खिलाफ गुजारा भत्ता का मामला दर्ज कराया था। कुटुंब न्यायालय के फैसले के बाद उसे एक हजार रुपए महीने मिलने लगे थे लेकिन बाद में उसके पति ने यह राशि भी देना बंद कर दिया अब उसे गुजारा भत्ता नहीं मिल पा रहा है। आरती बताती है कि 10 अप्रैल को उसके द्वारा लाड़ली बहना योजना के लिए आवेदन पत्र भरना था लेकिन घर में मारपीट की गई और थाने में भी उसकी नहीं सुनी गई। जिससे अब १२ दिन से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी है।
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