रीवा। बरसात के पहले शहर में रेत का भंडारण तेजी से बढऩे लगा है। इसका फायदा रेत कारोबारियों को होगा। हर साल की तरह इस साल भी शहर के विभिन्न स्थानों पर रेत के भंडारण का कार्य शुरू हो गया है। बरसात के दिनों में जब नदियों में पानी आ जाता है तब रेत नहीं निकल पाती है। इस कारण भंडारित रेत महंगे दाम पर बेची जाती है। हर साल खरीददार इस कालाबाजारी का शिकार होते हैं और महंगे दाम पर उन्हें कारोबारियों से खरीदना पड़ता है। यह कारोबार करने वाले अधिकांश ऐसे लोग हैं जो दलाली के कार्यों में शामिल रहते हैं। इनदिनों शहर के कई हिस्सों में सड़कों के किनारे रेत का भंडारण शुरू हो गया है। सबसे अधिक रिंग रोड के एरिया में रेत का भंडारण हो रहा है। साथ ही मुकुंदपुर ह्वाइट टाइगर सफारी रोड में निपनिया से लेकर रौसर तक में बड़ी मात्रा में भंडारण हुआ है। नगर निगम के क्षेत्र में इसके पहले इस तरह से कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई होती रही है। जिसके चलते कई स्थानीय निवासियों ने शिकायतें भी निगम के अधिकारियों से की हैं। लेकिन उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं खनिज विभाग के अधिकारियों ने भी चुप्पी साध रखी है। प्रशासनिक चुप्पी के चलते कालाबाजारी तेजी से बढ़ती जा रही है। इस मामले में खजिन विभाग के अधिकारी रत्नेश दीक्षित से भी उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई।
प्रशासनिक स्तर पर भंडारण की व्यवस्था नहीं
व्यापारियों द्वारा रेत के भंडारण के बाद महंगे दाम पर लोगों को बेचने की वजह से गत वर्ष प्रशासन ने शहर के नजदीक ही व्यापारियों को आधिकारिक रूप से रेत का भंडारण करने के लिए अनुमति दी थी और उनके लिए रेत के दाम भी निर्धारित कर दिए गए थे। जिसके चलते लोगों को सही कीमत पर रेत मिल रही थी। इस वर्ष अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके चलते मनमानी रूप से भंडारण शुरू हो गया है और अपने हिसाब से इसकी कीमत लगाई जाएगी।
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