वीरेंद्र सिंह सेंगर, बबली
रीवा। भाजपा के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी को आखिरकार राजनैतिक दल का बैनर मिल ही गया। बैनर की तलास में पूर्व विधायक कई माह से भटक रहे थे। कभी कांगे्रस पार्टी का दरवाजा खटखटाते तो कभी आम आदमी पार्टी के साथ ही समाजवादी पार्टी का दरवाजा खटखटाया। कहीं उनको संतोष जनक जबाव नहीं मिला तो कहीं उनका दिल नहीं लगा। दूसरी ओर सिरमौर की जनता इस कमशकश में रही कि भाजपा के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी आखिर किस पार्टी से चुनाव मैदान में आयेंगे। राजनैतिक सूत्र ने बताया कि पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी को समाजवादी पार्टी में स्थान देने के लिए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सहमति की मोहर लग गई है। आने वाले समय में कभी भी पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों सपा में सदस्यता ले सकते हैं। सूत्र ने तो यहां तक संभावना जताई है कि विंध्य में सपा की बागडोर पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी के हाथों सौंप दी जायेगी। सूत्र की बातों पर कितना दम है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। फिलहाल सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में चल रहे कयासों पर विराम लग गया है।प्रदीप सिंह पटना भी सपा से कर चुके हैं जोरअजमाईश
सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में यदि कोई प्रदीप सिंह पटना का नाम ले ले तो लोगों के मुंह से अनायस ही निकल आता है बिन पेंदी का लोटा। विधायक का ताज पहनने के लिए प्रदीप सिंह पटना ने कई पार्टियां बदली और सभी पार्टी से चुनाव भी लड़ा। लेकिन जीत का सेहरा नहीं बंधा। बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने उन पर भरोसा कर विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा। लेकिन सभी पार्टियों से हार की खानी पड़ी। इन दिनों वह कांग्रेस पार्टी में अपना भविष्य खोज रहे है।
सपा को जनता मानती है अपराधियों के आश्रय की पार्टी
सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से सपा के हारने की मुख्य वजह वहां की जनता समाजवादी पार्टी को अपराधियों को आश्रय दिये जाने वाली पार्टी के रूप में देखते है। विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि यूपी में आतंक को पनाह सपा ने दिया। सपा के संरक्षण में यदि नेक दिल और जनता के प्रति समर्पित नेता विधायक, सांसद बनते है तो वही दूसरी ओर कुख्यात अपराधी भी सपा के बैनर तले विधायक और सांसद बनते है। मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, आजम खान, फूलनदेवी इसके उदाहरण है। शिवकुमार उर्फ ददुआ जैसे दुर्दातं डाकू, मुन्ना बजरंगी जैसों को सपा का संरक्षण मिला था। सपा के बैनर तले ददुआ का पुत्र और भाई जनप्रतिनिधि के रूप में उभर कर सामने आये। यही वजह है कि सिरमौर विधानसभा के लोग सपा को यूपी सीमा से अंदर घुसने नहीं देते। सिरमौर विधानसभा से प्रदीप सिंह पटना के साथ ही जगदीश यादव और स्व. डीपी सिंह ने भी जोर अजमाईश की थी। और इनके प्रचार में अखिलेश यादव, जया प्रदा जैसे स्टार प्रचारकों ने सभा भी की। लेकिन सिरमौर विधानसभा की जनता स्टार प्रचारकों के बहकावे में नहीं आई और नेक छवि रखने वाले सपा के विधानसभा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। आने वाले विधानसभा चुनाव में देखना होगा कि सिरमौर विधानसभा की जनता जुझारू और जनता के हित के लिए हमेशा समर्पित रहने वाले पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी को सपा के बैनर तले अपना विधायक मानती है या नहीं?
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