चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने और प्रज्ञान रोवर के चांद की सतह पर चलने के साथ ही कुछ न कुछ नई जानकारियां सामने आरही हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (moon's south pole) पर जब अंधेरा छाएगा और तापमान -180 डिग्री पहुंच जाएगा या इससे भी कम हो जाएगा तब प्रज्ञान रोवर क्या करेगा? जानकारी के मुताबिक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (moon's south pole) पर मौजूद कुछ गड्ढों पर तापमान शून्य से -203 डिग्री तक चला जाता है।
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वैज्ञानिकों को फिर से सक्रीय होने की उम्मीद
बतादें कि चंद्रमा पर एक दिन, पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है और तरह से रात भी। सूर्य जब, चंद्रमा पर डूबता है तो वहां का तापमान तेजी से घटने लगता है और शून्य से -180 डिग्री या उससे भी नीचे तक चला जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि 23 अगस्त, 2023 से 14 पृथ्वी दिनों के बाद प्रज्ञान और विक्रम निष्क्रिय हो जाएंगे। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों को इस बात की उम्मीद है कि जब चंद्रमा पर फिर से दिन होगा और सूरज की रोशनी पड़ेगी तो विक्रम और प्रज्ञान के फिर से सक्रिय हो जायेंगे। यदि ऐसा होता है तो भारत के इस चंद्र अभियान के लिए बोनस पॉइंट होगा।
भारत का बढ़ाया गौरव
बतादें कि 23 अगस्त, 2023 की शाम करीब 6 बजाकर 4 मिनट पर जब विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर पहुंचा था, उसके कुछ ही घंटों बाद ही प्रज्ञान रोवर बाहर निकला और अपनी पहली मून वॉक की। इस तरह से चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चांद की सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। और भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और इसरो के लोगो की छाप चंद्रमा की सतह पर छोड़ी।
पृथ्वी पर नहीं होगी वापसी
जानकारी के मुताबिक चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों स्थायी रूप से चंद्रमा पर ही तैनात रहेंगे। उनकी पृथ्वी पर वापसी नहीं होगी। प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह की खनिज संरचना की जांच करेगा। चंद्रमा की मिट्टी और चंद्र लैंडिंग स्थल के आसपास की चट्टानों में मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और टाइटेनियम की संरचना भी निर्धारित करेगा।
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