रहिये अपडेट, धर्म-आध्यात्म। शरदीय नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा की जाती है। इस दिन मां भगवती की आराधना और कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इसके साथ ही भक्त नवरात्रि व्रत समापन करते हैं। हालांकि कुछ लोग नवमीं तिथी को भी व्रत करते हैं। ज्योतिष के मुताबिक आज 22 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी पर कई सिद्धि योग बन रहे हैं। सिद्धि योग में 11: 40 से 12:26 के बीच कन्या पूजन का सर्वोत्तम समय है। अष्टमी तिथि पर मां जगदंबा की यज्ञ कर विशेष पूजा की जाती है। अष्टमी पर कन्या पूजन मे का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कन्याओं के रूप में मां दुर्गा आती हैं। दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याओं का पूजन करना उत्तम माना गया है।
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कन्या पूजन की विधि
अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने के लिए नौ कन्याओं के साथ एक लड़के की आवश्यकता होती है। बतादें कि नौ कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप और लड़के की भैरव के रूप में पूजा की जाती है। यदि नौ कन्याएं नहीं मिल पा रही हैं तो, जितनी कन्याएं उपलब्ध हों हैं उनका ही पूजन कर लें। बाकी कन्याओं के हिस्से का भोजन निकलकर गाय को खिला दें। कन्या पूजन के लिए सबसे पहले कन्याओं के साथ ही लड़के का पैर स्वच्छ जल से धोएं और उन्हें आसन पर बिठाएं। अब सभी कन्याओं और लड़के को तिलक करें। इसके बाद सबकी आरती करें। अब कन्याओं को भोजन कराएं। कन्याओं को भोजन करने से पूर्व मां को भोग अवश्य लगा लें। कन्याएं जब भोजन कर लें तो उन्हें प्रसाद के रूप में फल आदि देकर सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर चरण स्पर्श भी करें। इसके बाद सम्मान पूर्वक कन्याओं को विदा करें।
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