रहिये अपडेट, रीवा। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के देवलोंद के गोपालपुर में रेत माफिया के हाथों जान गंवाने वाले पटवारी प्रसन्न सिंह शव सोमवार को जब गृह ग्राम पहुंचा तो परिजनों में चित्कार मच गई। नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी गई। पूरे गांव में मातम छाया है। रीवा जिले के सेमरिया थाना क्षेत्र के बरौं गांव के रहने वाले प्रसन्न पांच बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी चार संताने हैं दो बेटी व दो बेटे हैं। बड़ी बेटी दिया सिंह (14), दूसरी बेटी समृद्धि सिंह (10) की है। बेटे प्रतीक व प्रत्यक्ष जुड़वा हैं जो कि 5 वर्ष के हैं। पिता की हत्या को लेकर बड़ी बेटी दिया सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बेटी ने कहा, यदि साथ में पुलिस होती तो यह घटना नहीं होती और उसके पापा जिन्दा होते। बिलखते हुए बेटी ने कहा कि, 'मेरे पिता ड्यूटी कर रहे थे और रेत माफिया ने उन्हें ट्रैक्टर से कुचलकर मार डाला। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई ऐसा करने का दुस्साहस न कर सकें।'
आना था मां का इलाज कराने लेकिन पहुंचा शव
परिजनों के मुताबिक, प्रसन्न सिंह सेना में थे और 2016 में रिटायर हुए। उसके बाद 2018 में उनका चयन पटवारी पद पर हुआ। उनकी पदस्थापना शहडोल जिले में हुई। जिस रात खनन माफिया ने यह वारदात की उस रात उनकी बात पत्नी गुंजा सिंह से हुई थी। गुंजा ने मां की तबियत खराब होने की जानकारी दी थी। जिस पर उन्होंने रविवार को रीवा आकर मां का इलाज करवाने को बोला था। उन्होंने अपने बच्चे ने भी बात की थी जिसने पापा से चॉकलेट मंगवाई थी। लेकिन रविवार को प्रसन्न सिंह के बजाय उनका शव घर पहुंचा। पिता को याद कर बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था।
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