रहिये अपडेटए रीवा/मऊगंज। मध्यप्रदेश विधानसभा में लगभग सभी सीटों में भाजपा का कांग्रेस से सीधा मुकाबला था। कांग्रेस भले ही बहुमत नहीं बना पाई लेकिन हारी हुई ज्यादातर सीटों में भाजपा प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी है। कई सीटों में मतगणना के आखिरी दौर तक दोनों ही दलों के प्रत्याशियों की धड़कने बढ़ी हुई थीं। क्यों कि अंतर काफी कम रहा। रीवा और मऊगंज जिले की बात करें तो यहां की कुल आठ सीटों में से सात सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का ही सीधा मुकाबला रहा है। एक सीट सिरमौर में भाजपा के मुकाबले बसपा रही, जबकि यहां पर कांग्रेस स्थान नंबर पर चली गई है। जिले में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को मिले वोटों के आधार पर उनकी जमानत बच गई है। जबकि केवल तीन सीटों पर बसपा प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल रहे हैं। देवतालाब, सेमरिया और सिरमौर सीट पर बसपा प्रत्याशियों की जमानत बच गई है। वहीं अन्य दलों की हालत काफी खराब रही है। कई चर्चित प्रत्याशी भी इस चुनाव में बहुत कम वोट हासिल कर अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। दोनों जिले में आठ विधानसभा क्षेत्रों के लिए कुल 116 प्रत्याशी मैदान में थे। जिसमें महज 19 प्रत्याशी ही जमानत बचाने में सफल रहे।
जमानत को लेकर निर्वाचन आयोग का नियम
निर्वाचन आयोग के नियमानुसार किसी भी प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए डाले गए वोटों में 1/6 फीसदी वोट पाना जरूरी होता है। जमानत जब्त होने का मतलब उस राशि से होता है जो नामांकन फार्म जमा करने के दौरान जमा कराई जाती है। विधानसभा चुनाव में नामांकन के साथ दस हजार रुपए जमा कराए गए थे। निर्धारित वोटों से कम वोट मिलने पर संबंधित प्रत्याशी की यह राशि राजसात कर ली जाती है, जबकि उससे अधिक वोट पाने वाले प्रत्याशियों की मांग पर जमानत राशि लौटा दी जाती है। जमानत राशि जब्त होना प्रत्याशियों के प्रतिष्ठा का विषय होता है। इसलिए हर प्रत्याशी यही चाहता है कि वह चाहे भले ही चुनाव में हार जाए लेकिन कम से कम जमानत जब्त नहीं होना चाहिए। इस चुनाव में 97 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है।
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