रहिये अपडेट, भोपाल। आये दिन बसें हादसे का शिकार हो रही हैं। कोहरे के चलते दिनों हादसे की घटनाएं बढ़ी गई हैं। ज्यादातर दुर्धटनाओं के बाद जांच में बस में खामियां सामने आती हैं। राजनीतिक सरपरस्ती में मियाद पूरी होने के बाद भी ये बसें मौत बनकर सडकों पर दौड़ रही हैं। और हादसे के बाद जिम्मेदारों की नींद खुलती है, फिर कुछ दिन जांच और जुर्माने की कार्रवाई होने बाद हालत पहले जैसे हो जाते हैं। हालही में गुना में सिकरवार बस सर्विस की जिस बस में डंपर की टक्कर के बाद आग लगने से 13 लोग जिंदा गए थे और 18 झुलस गए। शवों की हालत ऐसी हो गई कि शिनाख्त करना मुश्किल हो गया। 13 शवों में आरएसएस के मनोहर शर्मा और डंपर चालक वीरेंद्र की पहचान हो चुकी है। बाकी की पहचान के लिए डीएनए सैंपल लिए थे। यह रिपोर्ट शनिवार को आ सकती है।
न फिटनेस और न ही परमिट
उसे 17 जुलाई 2022 को परमिट न होने पर परिहवन विभाग ने जब्त किया था। बस संचालक ने बकाया 1.70 लाख रुपए टैक्स भरे। परिवहन विभाग के एक सीनियर अफसर मुताबिक यह बस 2008 से पहले की थी। बस एमपी-08पी-199 की मियाद पूरी हो चुकी थी। इसका फिटनेस और परमिट नहीं था। टैक्स भी बकाया था। लेकिन टैक्स जमा करने पर राजनीतिक दबाव में बस छोड़ दी गई। इसके बाद बस सड़क पर मौत बनकर उतर गई। बस मालिक के भाई धर्मेंद्र सिकरवार भाजपा नेता हैं।
हादसे के बाद प्रदेशभर में कार्रवाई
गुना बस हादसे के बाद सरकार की कार्रवाई और सख्त निर्देश के बाद जिम्मेदार हरकत में आ गए। शुक्रवार को प्रदेशभर में वाहनों की जांच और कार्रवाई की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में खटारा बसें जब्त की गईं और जुर्माना लगाया गया।
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