सेनि. डीएसपी भी फंसे लोकायुक्त के चंगुल में
रीवा.खिल्ली का नाम अनजाना नहीं है। पुलिस विभाग से लेकर आम जनता के बीच हमेशा ही सुर्खियों पर रहे है। देशभक्ति जनसेवा का तमगा लगा कर जहां भी रहे वहां खूब संपदा बनाई। लगभग पैतीस साल की नौकरी में करोड़ों रूपये के आसामी बन गये। मजे की बात यह है कि इस दौरान अर्जित की हुई संपत्ति कहीं अपने नाम तो कहीं अपनी पत्नी और साले के नाम पर की, यहां तक की रिश्तेदारों को भी अचल संपत्ति के मालिक बन दिया। इस बात का खुलासा लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ ने किया और बताया कि जबलपुर संभाग में पदस्थ सहायक उप महानिरीक्षक रामखेलावन शुक्ला सहित आठ लोगों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है। बताते चले कि सहायक पुलिस महानिदेशक रामखेलावन शुक्ला को लोग प्यार से खिल्ली के नाम से भी जानते है, जो सिरमौर तहसील के सगरा गांव के निवासी है।पद के साथ संपत्ति में भी करते गये तरक्की
सिरमौर तहसील के सगरा निवासी रामखेलावन शुक्ला जिनको लोग प्यार से खिल्ली के नाम से जानते है। वह उप निरीक्षक के पद पर पुलिस विभाग में कदम रखे। मजे की बात यह है कि जैसे-जैसे उनकी पदोन्नति होती रही उससे भी ज्यादा रफ्तार से बेनामी संपत्ति पर भी तरक्की करते रहे। इस बात का खुलासा लोकायुक्त द्वारा किये गये जांच पर हुआ। रीवा अनंतपुर में हवेलीनुमा मकान, प्लाट, मैरिज हाल के साथ ही शहडोल सहित अन्य जिलों में उनकी बेनामी संपत्ति होने को जिक्र लोकायुक्त विभाग में हो रहा है।सेवानिवृत्ति के साथ ही खड़े हो सकते हैं सलाखों के पीछे
बताया जाता है कि एआईजी रामखेलावन शुक्ला की नौकरी के तीन-चार साल ही शेष है। दर्ज हुई एफआईआर की गेंद लोकायुक्त के पाले से न्यायालय के पाले पर जानी निश्चित है। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार निवारण अपराध में दोष सिद्ध होने पर मा. न्यायालय को 4 साल से 10 साल तक की सजा और जुर्माना करने का प्रावधान है। न्यायालय के पाले में गई गेंद को मा. न्यायाधीश किस पाले में उछालते है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। फिलहाल इस बात की चर्चा गरम है कि लोकायुक्त के शिकंजे में फंसे आरोपी न्यायालय के कानूनी हथौड़े से जुजबी भी बच पाते हैं।
सेनि. डीएसपी भी फंसे लोकायुक्त के चंगुल में
लोकायुक्त कार्यालय से जो सूची निकल कर सामने आई है। उससे यह साबित होता है कि खाखी ओढऩे वाले किस तरह जनता का खून चूसे है। एएआईजी रामखेलावन शुक्ला के साथ ही लोकायुक्त की जांच में सेनि. डीएसपी श्रीनाथ सिंह बघेल और एएसआई नरेश सिंह चौहान जो इन दिनों मऊगंज में पदस्थ है, ने पुलिस विभाग में रहकर अपार संपत्ति बनाई। मजे की बात तो यह है कि इस बहती हुई भ्रष्टाचार की गंगा में सीधी जिले के विकासखंड सिहावल अंतर्गत ग्राम पंचायत खोचीपुर का 9 हजार रूपये वेतन पाने वाले ग्राम रोजगार सहायक मोहित तिवारी ने भी डुबकी लगाई और चार साल के अंदर ही लखपति बन बैठा। जिसकी संपत्ति का लेखाजोखा लोकायुक्त ने अपनी फाइल में कैद कर लिया है। इनके साथ ही सिंगरौली नगर निगम के तत्कालीन महापौर श्रीमती प्रेमवती खैरवार, सिंगरौली जिले के ही उज्जैनी पंचायत के पंचायत सचिव अशोक कुमार गुप्ता, सिंगरौली नगर निगम के सहायक इंजीनियर राकेश कुमार जैन एंव सीधी जिले के मड़वास स्थित जिला सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक मोतीलाल कुशवाहा को करोड़ो रूपये की नामी, बेनामी संपत्ति बनाये जाने पर लोकायुक्त एसपी गोपाल धाकड़ ने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा में जकड़ दिया है जिसका फैसला आने वाले समय मा. न्यायालय में होगा।
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