Jyotiraditya Scindia lives in a luxurious palace worth 4500 crores: केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia), सिंधया राजघराने के वंशज हैं, इनके महल को जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace) के नाम से जाना जाता है। इस आलीशान महल का निर्माण ज्योतिरादित्य सिंधिया के परदादा जयाजीराव सिंधिया ने 1874 में बनवाया था। आइये जानते हैं इस आलीशान जय विलास पैलेस के बारे में -
मध्य प्रदेश ग्वालियर में स्थित है महल
देश के प्रमुख राजघरानों मे से एक सिंधिया घराने के राजकुमार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं। राजनीति में तो वो अक्सर ही चर्चा में रहते हैं, लेकिन उनकी रहन-सहन भी काफी ठाट-बाट का है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस घर में रहते हैं वह कोई आम घर नहीं बल्कि 400 कमरों का आलीशान महल है। ज्यातिरादित्य सिंधिया का ये आलीशान महल मध्य प्रदेश ग्वालियर में स्थित है। जिसे जय विलास पैलेस के नाम से जाना जाता है। इस राजमहल में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया और बच्चों महानआर्यमन सिंधिया, अनन्या राजे सिंधिया के साथ रहते हैं।उन्नीसवीं सदी में कराया गया था निर्माण
जय विलास पैलेस का निर्माण उन्नीसवीं सदी में कराया गया था। इसकी स्थापना 1874 में जयाजीराव सिंधिया ने की थी। बताया जाता है कि 1876 में भारत आने वाले प्रिंस जॉर्ज और वेल्स की राजकुमारी मैरी के स्वागत के लिए यह महल बनवाया गया था। सिंधिया वंश का तब ग्वालियर पर शासन हुआ करता था। आज भी ग्वालियर सहित आसपास के क्षेत्र में इस परिवार के सदस्यों का बहुत सम्मान दिया जाता है।
35 कमरों को बनाया गया म्यूजियम
इस विशाल महल के कुछ भाग को अब "जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल के एक हिस्से को म्यूजियम विंग के रूप में विकसित किया गया है। 400 कमरों वाले इस महले के 35 कमरों को म्यूजियम में बनाया गया हे। जबकि शेष भाग में ज्यातिरादित्य सिंधिया परिवार के साथ रहते हैं। आज के वक्त में जय विलास पैलेस की कीमत करीब 4500 करोड़ रुपये है।
2001 शुरू किया राजनीतिक करियर
ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में भारत सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। ज्योतिरादित्य ने अपने पिता माधवराव सिंधिया की मृत्यु के बाद 2001 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ज्वाइन करते हुये अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। करीब 20 वर्षों तक कांग्रेस में रहने के बाद उन्होंने 2020 में बीजेपी से हाथ मिला लिया। 2021 में पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।
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