रीवा में मुरैन और सीतापुर में मशीन से रेत बनाने की स्वीकृति
रीवा. अब आम लोगों के लिये घर बनाना सस्ता हो जायेगा। क्योंकि घर बनाने में लगने वाली रेत (बालू) अब कम दाम पर उपलब्ध होगी। दरअसल यह संभव होगा नई तकनीक से। जिसके उपयोग से रेत के लिए नदियों पर निर्भरता कम होगी। अब पत्थरों से रेत तैयार की जायेगी। मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में खनिज विभाग ने रेत बनाने के लिये खदानधारकों को अनुमति दे दी है। इस तकनीक में क्रशर जैसी मशीनों से पत्थर के जरिये रेत बनाई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यह बालू भी नदियों से निकलने वाली बालू की तरह ही होगी। जिसका उपयोग निर्माण कार्यों में आसानी से किया जा सकेगा।
बोल्डर खदानों के अपशिष्ट का होगा उपयोग
खनिज साधन विभाग द्वारा दी गई स्वीकृति के मुताबिक खदानधारक बोल्डर पत्थर की खदानों से निकलने वाले अवशिष्ट मटेरियल का उपयोग कर रेत बनायेंगे। इस संबंध में पिछले महीने भोपाल से आदेश जारी किए हैं। जिसका पालन करते हुये रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प ने मऊगंज तहसील के मुरैन व सीतापुर में खदानधारकों को मशीन से रेत बनाने की मंजूरी दे दी है।
25 रुपए प्रति घन मीटर ली जायेगी
खनिज अधिकारी रत्नेश दीक्षित के मुताबिक मुरैन और सीतापुर में पहले से संचालित खदान धारकों को इसका लाभ दिया जा रहा है। पहले से ही बोल्डर पत्थर खदानों का संचालन करने वाले ये खदानधारक अतिरिक्त यूनिट लगाकर मशीन से रेत बना सकेंगे। इस रेत का उपयोग निर्माण कार्यों के साथ ही व्यापार में भी किया जा सकेगा। मशीन से बनने वाली रेत पर प्रति घन मीटर 25 रुपए की रायल्टी ली जाएग, जिससे इसके दाम भी ज्यादा नहीं होंगे।
आम लोगों को सस्ते में मिलेगी रेत
बताया जा रहा है कि इस तकनीक का उपोग कर रेत बनाने के लिये अन्य खदान धारकों द्वारा भी रुचि दिखाई जा रही है। मशीन से रेत बनाने के प्रति इनका उत्साह देखते हुये आगे चलकर रेत के उत्पदन में वृद्धि होगी। मशीन से बनी रेत का उपयोग आसानी से विभिन्न निर्माण कार्यों में किया जा सकता है। इस विकल्प के साथ ही नदियों पर रेत की निर्भरता कम हो जाएगी। जिससे आम लोगों को सरलता से सस्ती रेत उपलब्ध हो सकेगी।
No comments
Post a Comment