कांग्रेसी गुटबाजों में फिर शुरू हुई सुगबुगाहटें, जिला कांग्रेस कमेटी के ग्रामीण अध्यक्ष पहुंचे दिल्ली

Sunday, 12 February 2023

/ by BM Dwivedi

विधानसभा चुनाव सिर में मंडराने के बावजूद एक दूसरे की टांग खींचने में आमदा 

रीवा. कांग्रेस में गुटबाजी खत्म होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। दशकों सत्ता से दूर होने के बाद कांग्रेस में एकजुटता दिखाई नहीं दे रही। विधानसभा चुनाव सिर में मंडराने लगा उसके बावजूद भी एक दूसरे की टांग खींचने में आमदा है। हाल ही जिला कांग्रेस कमेटी में शहर एंव ग्रामीण अध्यक्ष की नियुक्ति हुई जो कुछ कांग्रेसियों को हजम नहीं हुई और ग्रामीण अध्यक्ष को लेकर विरोध के स्वर फूटने लगे। विरोध की लहर भोपाल से दिल्ली तक पहुंची। यहां तक कि कांग्रेस के एक खेमे ने कूटरचित फर्जी पत्र तक वायरल कर तहलका मचा दिया। गनीमत रही कि शीघ्र ही सच निकल कर सामने आ गया। अब कांग्रेस के गुटबाजों के बीच एक तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें जिला कांग्रेस कमेटी रीवा के नव नियुक्त ग्रामीण अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा पूर्व सांसद प्रत्यासी सिद्धार्थ तिवारी राज के साथ राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह के साथ दिखाई दे रहे हैं। वायरल तस्वीर को देख कांग्रेस के गुटबाजों में तरह-तरह की चर्चायें होने लगी। कुछ ने कहा कि ग्रामीण अध्यक्ष बनाये जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से न मिल कर दिल्ली अपने राजनैतिक गुरू स्व. श्रीयुत के शिष्य से मिलने गये और कुछ ने यह कहा कि कांग्रेस के जिला महामंत्री राजू सिंह सेंगर द्वारा की गई शिकायत को मैनेज करने गये हैं। जबकि यह मुलाकात एक शिष्टाचार की श्रेणी में आता है, परंतु अर्थशास्त्रीयों ने उसके कई अर्थ निकाल कर गलियों में मंत्र फूंकने में लगे हुये हैं।

इसे भी देखें : Congress: आखिर संगठन मंत्री ने पूर्व विधायक अभय मिश्रा को क्यों थमाई नोटिस, राजनीति के गलियारों से आ रही ये आवाज

श्रीयुत के दरबार से ग्रामीण अध्यक्ष की शुरू हुई थी राजनीति

स्व. श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के राजेंद्र शर्मा चहेते माने जाते थे। जिला कांग्रेस कमेटी के नव नियुक्त ग्रामीण अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का राजनैतिक सफर स्व. श्रीयुत के दरबार से ही शुरू हुआ था। रीवा नगर निगम से महापौर और रीवा विधानसभा से विधायक तक का चुनाव लड़ा। यह अलग बात रही कि आपसी गुटबाजी के चलते राजेंद्र शर्मा को दोनो ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी से मोह नहीं टूटा और विभीषणों के बीच रह कर कांग्रेस पार्टी के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। जिसका परिणाम हाल ही में हुये नगर निगम चुनाव में देखा जा सकता है। मीडिया से लेकर कार्यकर्ताओं तक को मैनेज करने की बागडोर राजेंद्र शर्मा के हाथों में थी। न तो मीडिया ने कहीं विरोध किया और न ही कार्यकर्ताओं ने। बताते चले कि यही अमहिया दरबार में स्व. श्रीयुत से गुरू और शिष्य का नाता प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से था। जहां से राजेंद्र शर्मा की राजनैतिक सफर की शुरुआत हुई। ऐसे में स्वभाविक है कि संगठन में पद पाने के बाद पहली भेंट अपने राजनैतिक कैरियर के गुरू के करीबी से होने चाहिये। लेकिन विरोधी मानसिकता वाले गुटबाजों को यह मुलाकात हजम नहीं हो रही है।  

इसे भी देखें : दागदार गिरेबां जेल प्रशासन पर उठा रहे उंगली, संगीन अपराधों के आरोपी ब्लैकमेल करने का कर रहे प्रयास!

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल का कर रहे बखान

गौरतलब है कि राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह वर्ष  1993 से लेकर 2003 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद से भाजपा ने ऐसी जड़ जमाई कि कांग्रेस की सरकार लौट कर नहीं बनी। वर्ष 2018 में जनता ने कांग्रेस को अपनी सरकार चुना था लेकिन उनकी आपसी खींचातानी की वजह से 16 माह में कमलनाथ की सरकार गिर गई। मजे की बात यह है कि कांग्रेसी अपनी आपसी कलह पर पर्दा डालने के लिए जनता के बीच इस बात का तूफान उड़ाया कि भाजपा ने उनके विधायक खरीद लिये। खैर ये तो गुजरी बातें हो गई जिनको आज फिर कांग्रेस के गुटबाजों ने वायरल तस्वीर को लेकर उखाडऩा शुरु कर दिया। और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की याद दिलाने लगे कि उनके कार्यकाल में वाहन चालक सड़क तलाश करते रहे और किसान ही नहीं शहरवासी बिजली की राह तका करते थे।

No comments

Post a Comment

Don't Miss
©|Rahiye Update| All Rights Reserved