वीरेन्द्र सिंह सेंगर बबली
रीवा. कहने को रीवा संभाग है और शहर नगर निगम परंतु जब फायर बिग्रेड के वर्कशाप पर नजर जाती है तो ऐसा लगता है कि नगर निगम में भ्रष्टाचारियों का ही बोल-बोला है। शहर सरकार भाजपा की हो या फिर कांग्रेस नगर निगम में बैठे भ्रष्टाचारी मनीप्लांट के पौधे की तरह बढ़ रहे है। इनमें न तो भाजपा के शहर सरकार की लगाम लगी और न ही कांग्रेस के शहर सरकार की। कांग्रेस का तो असली चेहरा तब सामने आया जब नेता प्रतिपक्ष के पद रहे अजय मिश्रा बाबा का भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरे अधीक्षण यंत्री शैलेंद्र शुक्ला से छत्तिस का आंकड़ा रहा और जैसे ही अजय मिश्रा बाबा महापौर चुने गये सारे गिले शिकवे भूल कर दोनो भरे मंच में एक-दूसरे के गले लग गये। नगर निगम में भ्रष्टाचार के आरोप से घिरी कोई एक कुर्सी नहीं है। यदि वहां कुर्सियों को खंगाली जाये तो पावे के नीचे से एक से बढ़कर एक भ्रष्टाचारी निकल कर सामने आयेंगे। लेकिन एक कहावत चरितार्थ है कि चोर-चोर मौसेरे भाई। शहर सरकार कांग्रेस की हो या चाहे भाजपा की, निगम में बैठे भ्रष्टाचारियों की कुर्सी जस के तस ही रहेगी। मौसम में ग्रीष्म ऋतु ने दस्तक दे दी। खेतों में किसानों की फसले पक कर लहलहाने लगी है। कई जगहों में तो कटाई भी शुरू हो गई। और इस मौसम में खेत-खलिहानों में आगजनी की घटनायें न हो ऐसा हो नहीं सकता। भाजपा हो या फिर कांग्रेस किसान हित की राग तो बहुत अलापती है परंतु उस पर चिंतन कितना करती है यह दृश्य नगर निगम के फायर बिग्रेड वर्कशाप में आसानी से देखा जा सकता है। रीवा जिला आगजनी के मुहाने पर आ बैठा और वर्कशाप में खड़ी फायर बिग्रेड खड़ी अंतिम सांसे गिन रही है। यदि की आगजनी के घटना हो जाये तो निगम निगम के अग्रिशमन विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खुल जाये। बताया जाता है कि ये हालात तब से हुये जब से अग्रिशमन विभाग का प्रभारी बिहारी बाबू मुरारी को बनाया गया। वैसे मुरारी कुमार की नियुक्ति संविदाकर्मी में अमृत योजना के तहत चीफ आपरेटिंग अधिकारी के रूप में हुई थी। भाजपा की अमृत योजना में खटाई डाल कर मुरारी कुमार फायर बिग्रेड को वेंटीलेटर में रख दिया।
बद से भी बदतर हुये फायर बिग्रेड के हालात
रीवा नगर निगम में तीन फायर ब्रिगेड है। जिनके हालात तो बद से भी बदतर हो चुके। किसी में टायर नहीं तो किसी में होज पाइप नहीं। मेटीनेंस के अभाव में 2013 में आई फायर बिग्रेड क्रमांंक एमपी 17 डीए 0386 आज अपनी बेबसी पर रो रही। न तो उसमें मोटर है और न ही टायर। रील पाइप खत्म है यहां तक की फायर बिग्रेड में बनी डिग्गियों की लॉक जाम पड़े है। यही हाल फायर बिग्रेड क्रमांक एमपी 17 जी 4575 का है जो वर्ष 2021 में आई थी। दो साल में ही उसकी दुर्गत हो गई। अन्य फायर बिग्रेड की तरह उसकी भी पानी की टंकी लीक हो गई। 350 फिट होज पाइप सिमट कर 50 फिट तक पहुंच गया और फाग सिस्टम ठप्प हो गया।Also Read:सदन में भड़के दिग्विजय सिंह, जानिये क्यों कहा- 45 साल में ऐसा पहली बार देख रहा हूं...
25 साल पुराने फायर बिग्रेड के भरोसे ननि
शासन के नियम अनुसार वाहन की लाइफ 15 साल तक मानी गई है, 15 साल के बाद वाहन की गिनती कंडम में होती है। मजे की बात यह है कि नगर निगम रीवा 25 साल पुराने फायर बिग्रेड के भरोसे चल रहा है। बताया तो यह जाता है कि लगभग 1995 माडल के फायर बिग्रेड क्रमांक एमपी 17 डी 7703 का बीमा रजिस्टेशन तक नहीं है।एक बिहारी नगर निगम पर भारी
बिहार निवासी मुरारी कुमार की नियुक्ति 2016 में चीफ आपरेटिंग के पद पर संविदा में हुई थी। सूत्र बताते हैं कि रीवा नगर निगम में पदस्थापना अमृत योजना की सिटी बस योजना में हुआ था। जिसमें तीन कलस्टरों पर सिटी बस चलाने का प्रस्ताव रहा। सूत्र बताते है कि निगम क्षेत्र के एक कलस्टर में ही सिटी वाहन चले जिसे सांसद जनार्दन मिश्रा ने हरी झंडी दिखाई थी, वह भी दम तोड़ दी। बताया जाता है कि 76 वाहनों में से महज एक से ड़ेढ दर्जन ही बसें सड़क पर दौड़ रही है। हां इतना जरुर है कि तत्कालीन निगम आयुक्त मिणाल मीना जो बिहार के रहने वाले थे, उनसे मुरारी कुमार ने बिहारी नाता जोड़ कर मूल पद के साथ ही स्वास्थ प्रभारी, गोदाम प्रभारी, डीजल प्रभारी, अग्रिशमन प्रभारी एवं वाहन प्रभारी का पद हासिल कर एक बिहारी सब पर भारी हो गया।
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