रिश्ते की टाइमलाइन पर हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
मामले में सुनवाई करते हुये न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना (Justice M Nagaprasanna) ने कहा कि, इस मामले में सहमति एक बार नहीं, दो बार, तीन बार या दिनों और महीनों के लिए नहीं, बल्कि सालों के लिए, पूरे पांच साल के लिए ली गई है। पीठ ने आगे कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि एक महिला से पांच तक बिना उसकी मर्जी से युवक ने यौन संबंध ( sexual relations) बनाये। इतने लंबे वक्त तक किसी रिश्ते का रहना और इस बीच दोनों के बीच बने रिश्ते के चलते इसे 375 और 376 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। आईपीसी की धारा 375 में महिला की सहमति के बिना बनाया गया यौन संबंध बलात्कार माना जाता है और धारा 376 में बलात्कार के लिए सजा का प्रावधान है। जज ने स्पष्ट कहा कि सिर्फ वित्तीय लेन-देन आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 406 के तहत आपराधिक धोखाधड़ी का केस नहीं बनेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि उस शख्स को धारा 323 (गंभीर हमला) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध के लिए केस का सामना करना पड़ेगा।
जानिये पूरा ममाला
बेंगलुरु (Bangalore) में रहने वाले एक शख्स पर उसकी पूर्व प्रेमिका ने शादी का झांसा देकर पांच सालों तक यौन शोषण (Sexual Exploitation) किये जाने का आरोप लगाया था। महिला ने युवक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराते हुये कहा कि, उसने शादी का वादा करते हुये कई बार उसके साथ यौन संबंध ( sexual relations) बनाए, जो कि बलात्कार की श्रेणी में आता है। दीवानी और सत्र न्यायालय में युवक के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी, जिसके खिलाफ युवक ने हाई कोर्ट ( High Court) में अपील की। युवक के मुताबिक वह और शिकायतकर्ता पांच साल से प्यार में थे और शादी भी करना चाहते थे, लेकिन जातिगत भेद (caste differences) के कारण ऐसा नहीं हो सका।
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