मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी जिस प्रकार से उभर कर सामने आई, उसी प्रकार से वह कमजोर होती चली गई। हालात ये हो गये कि बीएसपी से जुड कर जो अपना राजनैतिक भविष्य खंगाल रहे थे वे अब दूसरे पार्टी का दामन थामने के लिए मजबूर हो गये। चाहे वह डॉ. आईएमपी वर्मा हो या फिर सीमा जयवीर सिंह के साथ ही विद्यावती पटेल, शीला त्यागी। ऐसे राजनैतिक नेताओं की मजबूरी का फायदा इन दिनों कांग्रेस उठा रही है। कांग्रेस को एक लक्ष्य दिख रहा है सत्ता हासिल करना। सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस के दरवाजे ऐसे लोगों के लिए खुले हुये है जिनके पास बोट बैंक है। ये अलग बात है कि चुनाव में भाजपा के आगे शिकस्त ही क्यों न खाये हो। बहुजन समाज पार्टी ने जिस शीला त्यागी को विधायक पद की पहचान दिलाई आज वहीं शीला त्यागी बहुजन पार्टी का साथ छोड़ कर कांग्रेस में अपना राजनैतिक भविष्य देखने लगी और आने वाले चुनाव विधायक का सपना संजोते हुये कांग्रेस का दामन थाम ली। बताया जाता है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ तक पहुंचाने का मार्ग लोकसभा प्रत्यासी रहे सिद्धार्थ तिवारी ने शीला त्यागी को दिखाया। और रविवार के दिन शीला त्यागी भोपाल स्थित पीसीसी कार्यालय में पहुंच कर प्रदेश अध्यध कमलनाथ के हाथों कांग्रेस में सदस्यता ले ली। चर्चा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात देने के लिए कांग्रेस शीला त्यागी को मनगवां विधानसभा से उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है। गौरतलब है कि शीला त्यागी को विरासत में तो राजनैतिक मैदान में नहीं मिला।
जिला पंचायत सदस्य से विधायक तक का किया सफर
बीएसपी का हाथ पकड़ कर राजनीति में जब कदम रखी तो वर्ष 2005 में मनगवां विधानसभा क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य के रूप में जीत हासिल। उसके बाद शीला त्यागी ने मनगवां विधानसभा को ही अपना राजनैतिक मैदान मान लिया। वर्ष 2008 में बहुजन समाज पार्टी से विधायक के पद के लिए चुनाव लड़ी लेकिन भाजपा की लहर के चलते तीसरे स्थान पर जा कर टिक गई। फिर भी हिम्मत न हारते हुये वर्ष 2013 में बीएसपी से ही मनगवां विधानसभा में चुनाव मैदान पर उतरी और भाजपा विधायक पंजूलाल प्रजापति की पत्नी एंव पूर्व विधायक पन्नाबाई प्रजापति को शिकस्त देकर बसपा का परचम लहरा दिया। वर्ष 2018 में शीला त्यागी को भाजपा के विधायक पंजूलाल प्रजापति से हार का सामना करना पड़ा।
दावेदारों के बीच सुलगी चिंगारी
मनगवां विधानसभा से आने वाले चुनाव में कई कांग्रेसी नेता अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे थे। राम शरण कोरी, बबिता साकेत, इंजीनियर प्रीति वर्मा सहित कई ऐसे चेहरे है जो अपने को मनगवां विधानसभा से कांग्रेस पार्टी की ओर से भविष्य का विधायक प्रत्यासी मान रहे है। लेकिन जैसे भोपाल से उठी आंधी रीवा पहुंची तो मनगवां विधानसभा से दावेदारी ठोकने वालों के गले रूंध गये। उनको अपना भविष्य अंधकार मय दिखने लगा। चर्चा तो यह भी है कि दावेदारों के बीच शीला त्यागी के विरोध में चिंगारी भी सुलगने लगी। कहते तो यह भी है कि यह चिंगारी सुलग का ज्वाला का रूप ले उसके पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुलग रही चिंगारी को ठंडा करने की जिम्मेदारी पदाधिकारियों को सौंपेगे। रही बात टिकट की तो यह भविष्य तय करेगा कि आने वाले समय में पार्टी मनगवां विधानसभा से किसे मैदान में उतारती है। जो भाजपा को मात दे कर कांग्रेस का परचम लहरा सके।
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