वीरेन्द्र सिंह सेंगर बबली
रीवा। मऊगंज एसडीएम एपी द्विवेदी के विरूद्ध अधिवक्ताओं के बीच चिंगारी सुलगने लगी है। चिंगारी कब ज्वाला बन जाये कहा नहीं जा सकता। लेकिन जिस तरह से मऊगंज में चल रहा है उससे ऐसा लगता है कि आने वाला समय एडीएम और अधिवक्ताओं के बीच जद्दोजहद का होगा। एसडीएम मऊगंज पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते चले आ रहे हैं। यहां तक की अपर कमिश्नर ने भी अपने आदेश में लिखा था कि एसडीएम मऊगंज एपी द्विवेदी को विधि का ज्ञान नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि उसके बावजूद भी तीन साल से मऊगंज में अंगद के पांव की तरह जमे हुये है। न तो उनको हटाया गया और न ही उनके विरुद्ध लगे आरोपो की जांच की गई। ऐसा लगता है कि राजधानी में बैठी सरकार की भरपूर कृपा एसडीएम पर बरस रही है। हाल ही में एक और मुद्दा निकल कर सामने आया है जिसमें एसडीएम मऊगंज एपी द्विवेदी के विरूद्ध मऊगंज न्यायालय के अधिवक्ता लामबंद हो गये। मामला आर-पार की लड़ाई की ओर चल निकला है। बताया जाता है कि अधिवक्ताओं ने अपने संघ को इस संबंध में आवेदन भी दे दिया। आवेदन में स्पष्ट मांग की है कि एसडीएम मऊगंज एपी द्विवेदी को यहां से हटाया जाये और उनके द्वारा किये गये भ्रष्ट्राचारों की निष्पक्ष जांच हो। अन्यथा अधिवक्ता एसडीएम न्यायालय का बहिष्कार करेंगे।
खून के दाग से सराबोर है एसडीएम न्यायालय
एक ही प्रकार के प्रकरण में अलग-अलग फैसला देने वाले एसडीएम न्यायालय में खून के छींटे भी पड़ चुके है। लगभग तीन माह पूर्व एक जमीनी मामले पर मऊगंज निवासी गंगा प्र्रसाद सोनी ने न्यायालय परिसर में आत्मदाह कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर चुका है। उसके बावजूद भी एसडीएम की तबियत में कोई फर्क नहीं आया। यहां तक की कुछ अपीलीय प्रकरणों का अवलोकन करने पर अपर कमिश्नर छोटे सिंह को एसडीएम की करतूतों का आभास हो गया और उन्होंने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुये वर्णित किया कि एसडीएम मऊगंज एपी द्विवेदी को विधि का ज्ञान नहीं है। इतना ही नहीं अपर कमिश्नर ने एसडीएम के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किये जाने के लिए कमिश्नर को प्रस्ताव भी भेजा था। आश्चर्य की बात तो यह है कि उक्त आदेश कहां गया यह शोध का विषय बन गया।
अधिवक्ता और एसडीएम के बीच हुई नोक-झोंक
एसडीएम और अधिवक्ताओं के बीच भ्रष्ट्राचार को लेकर गहरी खाई बन गई है। एक ओर अधिवक्ता अपने मुवक्किलों को न्यायालय के माध्यम से न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं तो वहीं दूसरी ओर विचाराधीन प्रकरणों में एसडीएम अपने दलालों के माध्यम से लंबा सौदा कर विधि विरूद्ध निर्णय करते है, ऐसा अधिवक्ताओं का आरोप है। बताया जाता है कि शुक्रवार के दिन अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में एसडीएम और अधिवक्ताओं के बीच जमकर बहस बाजी हुई। अधिवक्ता केपी पांडेय और अधिवक्ता ब्रम्हानंद तिवारी ने एसडीएम को जमकर खरी-खोटी सुनाई। अनुविभागीय कार्यालय में हो रहे बहस की आवाज बाहर तक निकल आई और देखते ही देखते एसडीएम कार्यालय में अधिवक्ताओं एवं मुवक्किलों का हुजूम खड़ा हो गया।
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