वीरेंद्र सिंह सेंगर बबली
रीवा के तराई अंचल में दशकों से डाकुओं की गोलियां गूंजती रही। एक से बढ़कर एक खुंखार डाकुओं ने तराई अंचल के जंगलो में पनाह ली और जंगल से सटे गांव के लोग मौत के खौफ से गिरोह को राशन से लेकर हर चीज मुहईया करते रहे। डभौरा में एक ऐसा वैद्य है जो जंगल की जड़ी बूटियों से एक से बढ़ कर एक असाध्य रोग को ठीक करने का हुनर रखता है। एमपी, यूपी में आतंक का पर्याय रहे डाकू ददुआ, ठोकिया, सीताराम, हनुमान और महेंद्र पासी जैसे गिरोह में बीमार पडऩे वाले या पुलिस की गोलियों से घायल होने वाले सदस्यों से लेकर सरगना तक को अपनी जड़ी बूटियों के दम पर ठीक करने वाला बैद्य राम सिंह बहेलिया डभौर पुलिस के लिए सिरदर्द गया। हत्या के आरोप में पुलिस उसकी तलास कर रही है यहां तक की उस पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से ईनाम भी घोषित है। लेकिन डाकुओं को डाक्टर राम सिंह बहेलिया पुलिस के हाथ नहीं लग रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि रीवा की सायबर टीम भी डाकुओं के डाक्टर को तलाशने में नाकाम साबित हो रही है।
अवैध संबंधो के चलते हत्या को दिया था अंजाम
डाकुओं की संगत में रहकर वैद्य राम सिंह बहेलिया भी अय्याश मिजाज का हो गया था। अपने ही खेत में काम करने वाले छोटेलाल कोल की पत्नी से उसके अवैध संबंध हो गये थे। इस बात की जानकारी लगने पर छोटेलाल उसके रास्ते का कांटा बनने लगा। जिसे हटाने के लिए राम सिंह बहेलिया ने 11 मार्च 2020 को छोटेलाल कोल की पिटाई कर गांव के ही कुआं में फेक दिया था जिसे ग्रामीणों ने बचा लिया था। उसके बाद भी छोटेलाल कोल अपनी पत्नी और राम सिंह बहेलिया के बीच अवैध संबंधो का विरोध करता था। 10 सितबंर 2020 को डाकुओं का वैद्य राम सिंह बहेलिया ने छोटेलाल बहेलिया को अपने साथ यूपी मानिकपुर की ओर ले गया और वहां जंगल में नृशंस हत्या कर शव को फेक चला आया। परिवार के लोग जब तलासने लगे को एक सप्ताह बाद मानिकपुर यूपी के जंगल में छोटेलाल की क्षतविक्षत लाश मिली थी।
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दो साल तक एमपी, यूपी में घूमती रही डायरी
छोटेलाल कोल की गुमशुदगी डभौरा थाना में दर्ज हुई थी। एक सप्ताह बाद जब उसकी लाश मानिकपुर यूपी के जंगल में क्षतविक्षत हालत पर मिली तो दोनो ही राज्यों की पुलिस एक दूसरे राज्यों की पुलिस पर जिम्मेदारी थोपने लगी। इन गुजरे वक्तों पर न तो यूपी पुलिस ने शव का डीएनए टेस्ट करवाया और न ही डभौरा पुलिस ने। आखिरकार डभौरा थाना में छोटेलाल कोल की हत्या का अपराध दर्ज किया गया। इस दौरान राम सिंह बहेलिया पुलिस की लापरवाही का फायदा उठाते हुये फरार हो गया। जिसकी तलास में पुलिस अब दर-दर भटक रही है।
पुलिस के आला अधिकारी से लेकर नेता तक बचाने का कर रहे प्रयास
इस घटनाक्रम में दिलचस्प बात तो यह है कि डाकुुओं के जंगली डाक्टर हत्या के फरार आरोपी राम सिंह बहेलिया को बचाने के लिए पुलिस के आला अफसर से लेकर स्थानीय दलबदलू नेता लगे हुये है। एक ओर जहां पुलिस के आला अधिकारी उसे अपना मुखबिर होने की बात कह रीवा पुलिस पर दबाव बना रहे तो वहीं दूसरी ओर राम सिंह बहेलिया को अपना बोट बैंक होने की बात कर बचाने के लिए स्थानीय दलबदलू नेता पुलिस से उसके रहमोकरम की बात कर रहे।
तराई अंचल में रामसिंह बहेलिया की बोली जाती है तूती
यदि हम स्थानीय लोगों की बातों पर यकीन करें तो तराई अंचल में रामसिंह बहेलिया का अच्छा खासा दबदबा है। नेता से लेकर गांव-गांव की जनता उससे खौफ खाती है। जिसकी वजह डाकुओं से उसका करीबी होना बताया जाता है। तराई अंचल में कोई भी डाकू पैदा हो उसकी जरुरत जंगली डाक्टर रामसिंह बहेलिया से पूरी होती है। एक ओर जहां पुलिस उसे अपना मुखबिर मानती थी वहीं दूसरी ओर तराई अंचल के जंगलो में पनाह लेने वाले डाकू उसे अपना भगवान मानते है। यही वजह है कि तराई अंचल में उसका अच्छा खासा दबदबा है। लोग कहते है कि तराई अंचल में उसके विरोध में आवाज उठाने की कोई हिमाकत नहीं करता।
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