माउंट एवरेस्ट में भारत का तिरंगा फरहाने वाले विंध्य के लाल आशीष सिंह को किया गया सम्मानित, साझा किया अनुभव

Monday, 12 June 2023

/ by BM Dwivedi

रीवा। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट में भारत का तिरंगा फरहाने वाले विंध्य के दूसरे लाल आशीष सिंह बघेल का रीवा स्थित स्वयंवर विवाह घर में भाजपा नेता देवेंद्र सिंह, सपाक्स के जिला अध्यक्ष देवेंद्र सिंह, रॉयल राजपूत संगठन के संभागीय मीडिया प्रभारी वीरेंद्र  प्रताप सिंह सेंगर (बबली) सहित अन्य लोगो ने गरमजोशी के साथ स्वागत किया। इस मौके पर सहित अन्य लोगों ने माल्यार्पण करने के साथ ही केक काट कर 8848 मीटर की ऊंचाई तय करने वाले आशीष सिंह बघेल को बधाई देने के साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। बताते चले कि आशीष सिंह बघेल मूलत सतना जिले के रामपुर बघेलान अंर्तगत हिनौती गांव के रहने वाले हैं। लेकिन उनकी प्रारंभिक शिक्षा रीवा में हुई। दीन दयाल धाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से उन्होंने कक्षा 7 वीं तक की शिक्षा ली फिर उसके बाद सेंट्रल अकादमी से 12 वीं पास कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने पंजाब चले गये। बताते चले कि आशीष सिंह बघेल विंध्य के दूसरे लाल हैं जो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाईयों को फतह की। इसके पूर्व 2019 में सतना जिले के ही पर्वतारोही रत्नेश पांडेय ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंंगा फहरा कर विंध्य का गौरव बढ़ाया था। 

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किताबों में पढ़ कर जागी जिज्ञासा

पर्वतारोही आशीष सिंह बघेल ने बताया कि जब वह पढ़ाई करते थे तो किताबों में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाईयों की कहानी पढ़ा करते थे। तब से उनके मन में जिज्ञासा जागी कि क्यों ने अन्य पर्वतारोहियों के तरह वह भी माउंट एवरेस्ट में जाकर तिरंगा लहराये और उसके लिए प्रयास शुरू कर दिया। हाल ही अप्रैल माह में आशीष सिंह बघेल 80 पर्वतारोहियों के साथ माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने निकले। जिसमें भारत के साथ पाकिस्तान, चीन, आस्टे्रलिया सहित अन्य देश के पर्वतारोही शामिल रहे। आशीष सिंह बघेल ने बताया कि 7 अपै्रल का काठमांठू के एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे और वहां माउंट एवरेस्ट पर चढऩे का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद 18 मई की रात 11 बजे अपनी टीम के साथ एवरेस्ट की ओर कूच कर गये। 6 दिन की कठिन परिश्रम के साथ 23 मई को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर अपनी टीम के साथ भारत का तिरंगा लहरा दिया। 

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इस दौर में खो दिये दो पर्वतारोही साथी

आशीष सिंह बघेल ने बताया कि माउंट एवरेस्ट की चोटी तक का सफर तय करने में कई खौफनाक मंजर से गुजरना पड़ा। दिन के सफर में हर पल मौत का खौफ सताता था। लेकिन लक्ष्य हासिल करने की जज्बा दिलों में थी। 21 मई को टीम मेें रहे आस्ट्रेलिया पर्थ में रहने वाले पर्वतारोही जैसन बर्नाड हाई एल्टीट यड सिकनेस का शिकार हो गये। जिनकी डेड बॉडी भी नहीं मिली। यह हादसा देख एक बार तो सभी दहशत में आ गये लेकिन हिम्मत नहीं हारी। लक्ष्य तय करने के लौटते समय भारतीय टीम में शामिल रहे महाराष्ट्र पुणे में क्राइम ब्रांच में रहे स्वप्निल गरड भी हादसे का शिकार हो गये। जिनको विषम परिस्थितियों में हेलीकाफ्टर से उपचार के लिए लाया गया। लेकिन दो दिन पूर्व उन्होंने भी उपचार के दौरान अस्पताल में आखिरी सांसे ली। 

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