चंद्रयान-3 की सफलता में योगदान देकर विंध्य के तीन बेटों ने दुनियाभर में बढ़ाया मान, जानिए क्या रही इनकी भूमिका

Thursday, 24 August 2023

/ by BM Dwivedi

रीवा. चंद्रयान-3 की सफलता भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे भारत का दुनियाभर में मान बढ़ाया है। इसरो की इस मुहीम में विंध्य के तीन बेटों ने  बतौर वैज्ञानिक बड़ी भूमिका निभाई है। जिसमें रीवा के तरुण सिंह, सतना के ओम पांडेय और उमरिया के प्रियांशु मिश्रा शामिल हैं। जिन्होंने करीब छह महीने से भी ज्यादा समय से दिन-रात मेहनत कर इसरो के विभिन्न सेंटरों में अपना योगदान दिया है। विंध्य क्षेत्र के इन वैज्ञानिकों का इसरो की टीम में शामिल होने क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। 

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रीवा के तरुण सिंह इसरो के कैमरा सेक्शन की टीम में

रीवा जिले के इटौरा निवासी तरुण सिंह इसरो में बतौर सीनियर वैज्ञानिक (senior scientist) कार्यरत हैं। वे चंद्रयान-3 के कैमरा सेक्शन की टीम (camera section team) में शामिल हैं। यह टीम chandrayaan 3 की चंद्रमा से पूरी तस्वीरें इसरो को भेजती है। इसके साथ ही चांद पर chandrayaan 3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण दुनिया को दिखाने में भी तरूण की अहम भूमिका रही। तरूण सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव से शुरू हुई थी। इसके बाद कक्षा 6वीं से 12वीं तक की पढ़ाई सैनिक स्कूल रीवा से की। इंदौर से इन्होने  मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसका बाद बतौर जूनियर इंजीनियर तिरुवनंतपुरम से काम की शुरुआत की थी। इनके पिता दिलराज सिंह शिक्षक रहे हैं। 

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सतना के ओम पांडेय फरवरी से जुटे अभियान में 
सतना के करसरा निवासी इसरो के वैज्ञानिक ओम पांडेय भी फरवरी से इस अभियान में जुटे हैं। chandrayaan 3 के प्रक्षेपण के बाद से उस पर हर सेकंड की निगरानी ओम मॉरीसस से टीम के साथ कर रहे थे। चंद्रयान के परिक्रमा पथ को बढ़ाते हुए क्रमश: दूर जाने के हर पल पर नजर रही है। बीते फरवरी माह से मॉरीसस में पहुंचकर अपने काम में जुटे रहे। ओम को बचपन से अंतरिक्ष में रुचि रही है। मिशन की सफलता को लेकर करसरा में हर्ष का माहौल है। उनकी ससुराल रीवा के नेहरू नगर में हैं। 

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उमरिया के प्रियांशु मिश्रा 
उमरिया के प्रियांशु मिश्रा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र तिरुवनंतपुरम केरल (Vikram Sarabhai Space Research Center Thiruvananthapuram Kerala) में एसएफ के पद पर पदस्थ हैं। इन्होंने ट्रेजेक्टरी डिजाइन (trajectory design) के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई है। प्रियांशु ने देहरादून से बीटेक और रांची से एमटेक करने के बाद वर्ष 2009 में इसरो में ज्वाइन किया। प्रियांशु के पिता विनोद मिश्रा chandrayaan 3 की सफलता पर बेहद खुश हैं। बतादें कि प्रियांशु पहले भी 2019 में चंद्रयान 2 मिशन लांचिंग, वनवेब उपग्रह लांचिंग 2023 की टीम में भी शामिल कर चुके हैं। 


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