Supreme Court: गर्भ गिराने की मांग करने वाली याचिका पर महिला की विस्तृत मेडिकल जांच के दिए आदेश, फिर होगी सुनवाई

Saturday, 14 October 2023

/ by BM Dwivedi

 रहिये अपडेट, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 26 हफ्ते की गर्भवती विवाहित महिला की गर्भपात की मांग वाली याचिका (petition demanding abortion) पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एम्स को महिला का विस्तृत परीक्षण करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को यह पता लगाने को कहा गया कि, क्या भ्रूण किसी असामान्यता से पीड़ित है, क्या गर्भावस्था को पूरी अवधि तक जारी रखने पर उन दवाओं से नुकसान होगा, जो महिला ले रही है, महिला की मानसिक और शारीरिक दशा कैसी है? अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

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एम्स कह चुका है कि बच्चे के बचने की संभावना है

सरकार ने दलील दी कि उसे ऐसा कोई देश नहीं मिला, जहां 24 हफ्ते के बाद गर्भपात की इजाजत हो। भारत में कुछ हालात में कानून 24 हफ्ते के बाद गर्भपात की इजाजत देता है, जब मां की जान को खतरा हो या भ्रूण असामान्य हो। एम्स कह चुका है कि बच्चे के बचने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने नौ अक्टूबर को गर्भपात की इजाजत दे दी थी। एक दिन बाद एक डॉक्टर ने सरकारी वकील को ई-मेल किया कि गर्भपात के लिए भ्रूण का हृदय रोकना होगा। अन्यथा भ्रूण का स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाएगा। इसको लेकर सरकार ने कोर्ट के आदेश को वापस लेने की अर्जी दाखिल की। सीजेआइ की पीठ मामले की दोबारा सुनवाई कर रही है।

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महिला के वकील ने पेश की दलील
महिला के वकील ने तर्क दिया कि 28 सितंबर को गर्भावस्था के बारे में पता चला और पांच दिन में महिला इसे खत्म करने के लिए अदालत आई। उसने पिछले साल सितंबर में दूसरे बच्चे को जन्म दिया था। तब से वह प्रसवोत्तर मनोविकृति से पीड़ित है। इस हालत में वह जो दवाएं ले रही है, वे भ्रूण के लिए प्रतिकूल हैं।


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