रहिये अपडेट, भोपाल। दो सप्ताह से ज्यादा की कश्मकश के बाद आख़िरकार मोहन यादव को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया। निवर्तमान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक हैं। उज्जैन जिले से तीन बार के विधायक बने, 58 साल के मोहन यादव को उनके पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की सरकार में राजनीतिक कामकाज को देखते हुए चुना गया है।
संघ के पुराने ‘सेवक’ राजनीति के खिलाड़ी
कॉलेज के दिनों से ही मोहन यादव राजनीति में सक्रिय हैं। 1984 में वह एबीवीपी में उज्जैन के नगर मंत्री थे और 1991-92 में राष्ट्रीय मंत्री बन गए थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका पुराना नाता रहा है, 1993 में वह उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह थे। उन्होंने विधायक से मुख्यमंत्री तक का सफर काफी कम समय में तय कर लिया। केवल दस साल में वो MLA से CM बन गए। 2013 में वह पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 2018 में भी चुनाव जीते और जुलाई, 2020 में शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया।
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पारिवारिक और आर्थिक स्थिति
उच्च शिक्षित मोहन यादव का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में 25 मार्च 1965 को हुआ। उनके पिता का नाम पूनमचंद यादव और माता का नाम लीलाबाई यादव है। परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी है। उन्होंने एमबीए और पीएचडी तक की शिक्षा हासिल की है। संपत्ति के मामले में प्रदेश के नए सीएम ज्यादातर विधायकों को पीछे छोड़ दिया है। आश्रित सदस्यों के पास चल-अचल कुल 42 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति बताई गई है। हालांकि उनके चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक उनके पास 4 करोड़ 20 लाख रुपये की संपत्ति है और मुख्य व्यवसाय कृषि है। और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है।
लोकसभा की तैयारी
माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को साधने के लिए भाजपा ने दो उपमुख्यमंत्री भी बनाये हैं। जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम बनाया है। वहीँ पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि अटकलें थीं कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मंत्रालय का नेतृत्व करने वाले तोमर को शिवराज सिंह चौहान के बाद मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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