भ्रष्टाचार उजागर होने पर अपर कमिश्नर ने सुनाया फरमान
रीवा. जमीनी विवाद की जड़ राजस्व विभाग है। भू स्वामी को भूमिहीन और भूमिहीन को भूस्वामी बनाने की कला राजस्व अधिकारियों में बखूबी आती है। चंद पैसों पर नियत गिरा कर जमीन पर खून की नदियां बहाने में कोई गुरेज नहीं नहीं करते। पुलिस का रिकाड देखा जाये तो आधे से ज्यादा अपराध जमीनी विवाद पर भरे पड़े है। कहीं हत्या हो रही तो कहीं जमीन के चंद टुकड़े के लिए दो पक्ष लाठी चला रहे और राजस्व अमला अपनी जेबे भरने में मशगूल है। बीते एक साल से मऊगंज में पदस्थ एसडीओ अयोध्या प्रसाद द्विवेदी और तत्कालीन तहसीलदार सुधाकर सिंह सुर्खियों में है जो इन दिनों रायपुर कर्चुलियान में पदस्थ हैं। इनके कारनामों की परत खुलने पर अपर कमिश्नर छोटे सिंह ने स्पष्ट आदेश किया कि एसडीएम अध्योध्या प्रसाद द्विवेदी और तहसीलदार सुधाकर सिंह को विधि का ज्ञान नहीं है। इतना ही नही अपर कलेक्टर छोटे सिंह ने कमिश्नर को पत्राचार करते हुये इन भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासत्मक कार्रवाई किये जाने की अनुशंसा की है।नौ भू स्वामियों का नाम विलोपित कर सेनि. शिक्षक को लाभ दिलाने कितने में हुये सौदा?
मऊगंज में अधिवक्ताओं एवं आमजन के बीच इस बात की लेकर चर्चा गरम है कि राजस्व रिकाड में हेराफेरी कर नौ भू स्वामियों का नाम विलोपित कर सेनि. शिक्षक के नाम करोड़ों रूपये की भूमि किये जाने के लिए तत्कालीन तहसीलदार एवं एसडीएम में कितने का सौदा किया होगा। कोई लाख का आंकड़ा बता रहा तो राजनैतिक दबाव का, खैर ये चर्चायें तो शोध का विषय है। लेकिन अधिवक्ता केबी पांडेय ने बताया कि राजस्व अधिकारियों ने 1962 के पूर्व से चले आ रहे आराजी क्रमांक 534 रकबा 28 डिसमिल एवं आराजी क्रमांक 549 रकबा 32 डिसमिल में दर्ज नौ भू स्वामियों का नाम विलोपित कर दुबगवां कुर्मियान निवासी रमाशंकर पिता रामश्रय के नाम 2021 में कर दी गई। अधिवक्ता केबी पांडेय ने बताया कि आश्चर्य की बात तो यह रही कि राजस्व रिकाड में दर्ज नौ भूमि स्वामियों में से किसी को भी इस बात की भनक तक नहीं लगी। राजस्व न्यायालय में सेनि. शिक्षक रमाशंकर ने कब अपील की और राजस्व न्यायालय ने अनावेदकगणों को कब सम्मन भेज कर तलब किया इस बात की कोई जानकारी निकल कर सामने नहीं आई।
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मऊगंज के अधिवक्ता केबी पांडेय ने बताया कि उनके पक्षकारों को जब इस बात की जानकारी लगी कि उनके हाइवे किनारे स्थित आराजी का भू स्वामी सेनि. शिक्षक रमाशंकर बन गया है तो फरियाद लेकर तहसील न्यायालय से एसडीएम न्यायालय तक की दौड़ लगाई। दोनो ही दंडाधिकारियों के यहां अपीलार्थियों की ओर से उन्होने पैरवी की। अधिवक्ता ने बताया कि दोनो ही दंडाधिकारी निजी लाभ या राजनैतिक दबाव के चलते हुये न्याय नहीं दिया। जिसकी वजह से न्याय पाने के लिए संभागीय दंडाधिकारी छोटे सिंह की चौखट का दरवाजा खटखाते हुये प्रकरण क्रमांक 15/अपील/21-22 एंव 612/अपील/21-22 दायर करते हुये अधिवक्ता द्वारा फरियाद की गई। जिसका अवलोकन करने पर अपर कलेक्टर छोटे सिंह ने राजस्व रिकाड में हेराफेरी किये जाने का भ्रष्टाचार उजागर करते हुये कहा कि संबंधित अनुविभागीय अधिकारी मऊगंज को विधि का ज्ञान नहीं है तथा उत्तरवादी को अनैतिक ढंग से लाभ पहुंचाने हेतु प्रश्नाधीन अलोच्य आदेश पारित किया किया गया है। एंव अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन गंभीर लापरवाही बरती गई है। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा किया गया कृत्य कदाचारण की श्रेणी में होने से उन्हे अनुशासत्मक कार्यवाही का भागी बना रहा है। अत: आयोध्या प्रसाद द्विवेदी अनुविभागीय अधिकारी तहसील मऊगंज द्वारा पदीय दायित्वों के निर्वहन में गंभीर लापरवाही करने के कारण उनके विरुद्ध अनुशासत्मक कार्रवाई किये जाने हेतु आदेश की एक प्रति कमिश्नर की ओर भेजी जायेगी।
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पलक झपकते ही करोड़ों के ये भू स्वामी बन गये फकीर
आश्चर्य की बात यह है कि तत्कालीन तहसीलदार और एसडीएम को राजस्व रिकॉड में करोड़ों रुपये के भू स्वामियों को फकीर बनाये जाने के दौरान इनकी रूह तक नहीं कांपी। और 1962 से चले रहे वंशवाद भू स्वामी निशार अहमद पिता अजमेर, मु. रहीमुन्निशा पत्नी जमाल अहमद, मुख्तार अहमद, मो. आरिफ, सहनाज बेगम, सभी के पिता स्व. जमाल अहमद, सूर्यबली सिंह पिता बंकराज सिंह, श्रीमती सुनीता सिंह पति सूर्यबली सिंह एंव सिरताज मो. पिता शेर अली अंसारी की जमीन का स्वामी रमाशंकर पिता रामाश्रय ब्राम्हण 70 वर्ष निवासी दुबगवां कुर्मियान को बना दिया।
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राजस्व विभाग के भ्रष्टाचारियों से भरे हैं लोकायुक्त के पन्ने
पटवारी से लेकर एसडीएम तक का सफर करने वाले अनुविभागीय दंडाधिकारी को इस बात का तो अवश्य ज्ञान होगा कि लोकायुक्त की कार्रवाही में सर्वाधिक राजस्व विभाग के घूंसखोरो से पन्ने भरे हुये है। पटवारी से लेकर तहसीलदार, एसडीएम के रीडर तक घूंसखोरी में पकड़े जा चुके है। जो चंद पैसों के लालच मे जमीन के लिए खूनी संघर्ष कराये जाने के जिम्मेदार साबित होते है। सीमांकन, वारिसाना, नक्सा तरमीम, खसरा सुधार जैसे छोटे-छोटे कार्यो पर लोकायुक्त के शिकंजे में फंस चुके है। यदि हम वहां के अधिवक्ताओं की बातों पर भरोसा करें तो एसडीएम मऊगंज को रंगेहाथ पकडऩे के लिए लोकायुक्त की टीम की टारगेट पर तीर न लगने पर बैरंग लौट चुकी है।
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