होम्योपैथी की शुरूआत 1807 में सैमुएल हैनिमैन ने की थी और हर साल 10 अप्रैल को होम्योपैथी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। होम्योपैथी के जनक माने जाने वाले जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल को ही हुआ था। इस साल उनकी 266वीं जयंती है। होम्योपैथी दो शब्दों से बनता है, होम्यो और पैथ। दरअसल होमो का मतलब होता है एक जैसा और पैथी का मतलब होती है बीमारी। मतलब साफ है कि यह चिकित्सा पद्धति इस बात पर काम करती है लोहा को सिर्फ लोहा काट सकता है। होम्योपैथी की लिक्विड के साथ ही अब पेटेंट दवाइयां भी बाजार में उपलब्ध हैं। Also Read:Corona का मिला नया वेरिएंट XBB.1.9.1, WHO ने जारी की नई रिपोर्ट, भारत में सबसे ज्यादा मामले
होम्योपैथिक दवाओं की विशेषता
19वीं शताब्दी से ही होम्योपैथिक दवाओं और डॉ. हैनिमैन द्वारा तैयार की दवा की प्रणाली पर लोगों का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है। होम्योपैथी को एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में जाना जाता है। हालाँकि होम्योपैथिक दवाओं का असर भले ही धीरे होता है, लेकिन यह रोगों को जड़ से दूर करता है। सबसे खास बात यह कि होम्योपैथी दवाओं के साइडइफेक्ट नहीं के बराबर होते हैं।
ऐसे बनती हैं होम्योपैथी दवायें
कई बार लोगों मन में होम्योपैथी की इन छोटी-छोटी सफेद गोलियों को देखकर सवाल उठता है कि ये कैसे बनाई जाती है। तो आइये हम बताते हैं। होम्योपैथी दवाओं को एक्सपर्ट पेड़-पौधों और धातुओं की मदद से अर्क के रूप में बनाते हैं। इसका इस्तेमाल डायल्यूट के रूप में किया जाता है। दवा को डायल्यूट रूप में बेहद संतुलित मात्रा में उपयोग किया जाता है ताकि बीमारियों पर उसका अधिक असर हो।
इन बीमारियों के लिए बेहद कारगार
हालांकि होम्योपैथी चिकित्सा कई असाध्य रोगों में कारगर है। जैसे डायरिया, सर्दी-जुकाम, बुखार, गठिया, अस्थमा, त्वचा संबंधी रोग, मधुमेह, पाइल्स, किसी भी तरह के तनाव और दर्द में जल्दी काम करती है और साइडइफेक्ट नहीं होता है। वहीं ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी की रोकथाम और मैमोरी पॉवर बढ़ाने में अन्य दवाओं की अपेक्षा ज्यादा कारगर होती हैं। गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए सुरक्षित भी है।
कुछ सावधानियां बरतना है जरूरी
- दवाओं को सावधानी से हमेशा सामान्य तापमान पर रखें
- डोज ओवरलैप न करें, निर्धारित समय पर ही दवा लें
- दवाओं को हाथों से न छुएं, शीशी से सीधे मुह में लें
- होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के दौरान कच्चे प्याज, लहसुन और काफी के साथ ही पान, गुटखा और स्मोकिंग भी नहीं करना चाहिए।
- होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कभी भी मेटल के गिलास में नहीं करना चाहिए।
- कांच के गिलास में दवायें खायें
एक्सपर्ट व्यू
किसी मरीज के लिए सबसे ज्यादा इस बात से फर्क पड़ता है कि उसकी बीमारी जल्दी ठीक हो जाए। फिर चाहे दवा होम्योपैथिक हो या एलोपैथिक। कई लोग एलोपैथिक दवाएं खाकर थक जाते हैं तो फिर होम्योपैथ का सहारा लेते हैं। यह कई असाध्य बीमारियों में कारगर है और इसके इस्तेमाल से रोगी को आराम भी मिलता है। लेकिन होम्योपैथी दवा खाने के नियमए कायदे सब अलग हैं। यदि मरीज उन नियम-कायदों का पालन नहीं करता है तो उसके ठीक होने की संभावना काफ कम होती है। यह पद्धति काफ हद तक प्राकृतिक पद्धति से जुड़ी हुई है।प्रकाश शुक्ल, सीनियर होम्योपैथी चिकित्सक रीवा
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