रहिये अपडेट, चुनाव डेस्क। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कई सीटों पर रिश्तेदार आमने-सामने सियासी समर में कूद पड़े है। ऐसे में किसका साथ दें इस बात पर रिश्तेदार और मतदाता असमंजस में हैं। बात कर करे हैं विंध्य क्षेत्र की जहां सत्ता की लालसा में रिश्ते-नाते की परवाह किये बिना चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में मतदाता भी मत को लेकर राय नहीं बना पा रहे हैं कि किधर जाएं। वहीं कुछ ऐसे में प्रत्याशी भी हैं जिनके घर के सदस्य ही दूसरे उम्मीदवार या पार्टी का प्रचार करने जा रहे हैं। सियासी माहौल में ऐसे प्रत्यशियों की जमकर चर्चा हो रही है। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ चर्चित उम्मीदवारों के बारे में -
चाचा भतीजा आमने-सामने
रीवा जिले की सबसे हॉट सीट देवतालाब है, क्योंकि यहां सगे चाचा-भतीजे ही आमने सामने हैं। देवतालाब से चाचा गिरीश गौतम भाजपा से प्रत्याशी हैं तो उनके सगे भतीजे पद्मेश गौतम कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। हालांकि यहां पारिवारिक रिश्ते राजनीतिक की राह में आड़े नहीं आते हैं। यह बात और है कि दोनों के रिश्तेदार असमंजस में हैं कि किस पर भरोसा जताएं।
देवर को नहीं मिला भाभी का साथ
इसी तरह से त्योंथर विधानसभा सीट से देवर को भाभी का साथ नहीं मिल पा रहा है। यहां से भाजपा प्रत्याशी सिद्धार्थ तिवारी चुनाव मैदान में है, लेकिन उनकी भाभी अरुणा कांग्रेस के पक्ष में काम कर रही हैं। बतादें कि टिकट न मिलने से नाराज होकर बगावत करते हुए सिद्धार्थ तिवारी ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा दामन थाम लिया है। भाजपा ने उन्हें त्योंथर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है।
बड़े पिता व भाई का नहीं मिला समर्थन
सतना विधानसभा सीट से रत्नाकर चतुर्वेदी बसपा से प्रत्याशी हैं। इनके सगे बड़े पिता सुधाकर चतुर्वेदी भाजपा पार्टी के साथ खड़े हैं। उनके बेटे भास्कर भी भाजपा के साथ हैं। कभी यह परिवार एक साथ खड़ा नजर आता था, लेकिन इस चुनाव में राजनीतिक अलगाव देखने को मिल रहा है। शहर में यह चर्चा का विषय बना है।
यहां चाचा-भतीजीही अलग
ऐसे ही रैगांव विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी प्रतिमा बागरी के सामने भी परिवार में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। उनके चाचा देवराज बागरी और चाची वंदना बागरी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं। उनके ही परिवार के अन्य चाचा धीरेंद्र सिंह भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रैगांव से चुनाव मैदान में हैं। बतादें कि, पूर्व मंत्री स्व. जुगुलकिशोर बागरी के सगे बड़े भाई जीवनलाल की प्रतिमा नातिन हैं और जुगुल के बेटे देवराज कभी भाजपा से दावेदार रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने पार्टी भी बदली थी। लिहाजा, बसुधा के बागरी खानदान में राजनीतिक लड़ाई की वजह से परिवार अलग-अलग खड़ा नजर आ रहा है।
सीधी में जीजा का नहीं मिला साथ
बात करें सीधी जिले की तो यहां से भाजपा प्रत्याश रीति पाठक चुनाव मैदान में हैं, लेकिन उनके जीजा दिनेश पाठक कांग्रेस के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। इसी तरह से धौहनी विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी कुंवर सिंह टेकाम व कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश सिंह आपस में फूफा-भतीजी हैं। लिहाजा यहां भी रिश्तेदार संकोच में प्रचार में खुल कर नहीं उतर पा रहे हैं। मतदाता भी असमंजस की स्थिति में हैं।
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