रहिये अपडेट, नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में सोमवार को संसद के दोनों ही सदनों में जोरदार हंगामा हुआ। विपक्षी दल के लोग गृह मंत्री अमित शाह के सदन में बयान की मांग पर अड़े रहे। राज्यसभा और लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी की। कुछ सांसदों पर आसन की तरफ बढ़ने का आरोप भी है। इसके चलते एक दिन में सर्वाधिक 78 सांसद निलंबित हुए। राज्यसभा के 45 और लोकसभा के 33 सांसद शामिल हैं। इनमें लोकसभा में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, डीएमके, टीएमसी व अन्य विपक्षी दलों के सांसद भी शामिल हैं। शीत सत्र में 92 सांसद निलंबित हो चुके हैं।
बार-बार रोकनी पड़ी कार्यवाही
व्यवधान के चलते राज्यसभा व लोकसभा की कार्यवाही बार-बार रोकनी पड़ी। राज्यसभा में सभापति जगदीश धनखड़ और लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला की चेतावनी के बावजूद सांसद नहीं माने। लोकसभा में संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने 33 सांसदों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने मान लिया। 30 सांसदों का निलंबन सत्र की शेष अवधि के लिए है। तीन सांसदों पर सरकार की ओर से गंभीर आरोप लगाए गए, जिनका मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया।
मामले में राजनीति करना ठीक नहीं
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद की सुरक्षा चूक में जांच कमेटी गठित की गई है। पहले भी ऐसी घटनाओं में लोकसभा अध्यक्षों के जरिए ही जांच प्रक्रिया आगे बढ़ी। इस पर राजनीति ठीक नहीं है। सदन में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही चर्चा होनी चाहिए। वहीँ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार ने संसद और लोकतंत्र पर हमला किया है। मोदी की तानाशाही सरकार ने अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया है।
1989 में राजीव गांधी के समय 63 निलंबित
1989 में राजीव गांधी के समय 63 सांसदों को निलंबित किया गया था। इन सभी को एक सप्ताह के लिए निलंबित किया गया था। ये सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए बने ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को लेकर संसद में हंगामा कर रहे थे।
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